कहां जा रही हैं विदेशों से मिली मदद:झारखंड ने कहा- केंद्र उन राज्यों से सौतेला व्यवहार कर रहा है जहां BJP की सरकार नहीं है; उधर UP और बिहार में पहुंचाई गई मदद

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कोरोना संक्रमण की पहली लहर का सामना करने के बाद दुनिया में नायक बनकर उभरे भारत के लिए दूसरी लहर कहर बन कर आई। भारत की दुर्दशा देखकर दुनियाभर से मदद पहुंचाई जा रही है। राज्यों को उम्मीद थी कि हेल्थ इमरजेंसी को देखते हुए विदेशों से आई इस मदद को बिना किसी देरी भारत सरकार उन तक पहुंचाएगी, लेकिन राज्य अभी तक मदद की बांट जोह रहे हैं।

एयरपोर्ट सूत्रों के मुताबिक अब तक दिल्ली एयरपोर्ट पर 28 से ज्यादा फ्लाइट्स विदेशी मदद लेकर आई हैं। इनमें 5500 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 3200 से ज्यादा ऑक्सीजन सिलेंडर और 1,37,500 रेमडेसिविर इंजेक्शन भारत तक पहुंच चुके हैं, लेकिन झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने दैनिक भास्कर को बताया, ‘हमें दूसरी लहर की शुरुआत से लेकर अब तक 90,000 N95 मास्क मिले हैं। हमें 46,000 रेमडेसिविर देने का वादा किया गया था, लेकिन मिले सिर्फ 2,180 इंजेक्शन। इसके अलावा हमें कुछ भी नहीं मिला।’

आखिर हमारे साथ केंद्र सौतेला व्यवहार क्यों कर रहा है?

गुप्ता कहते हैं कि ऑक्सीजन तो हमें चाहिए नहीं, हम खुद दूसरे राज्यों की मदद कर रहे हैं। हमारे यहां 6 ऑक्सीजन प्लांट हैं, लेकिन दूसरे उपकरणों की जरूरत तो हमें हैं। वे कहते हैं, ‘तकरीबन साढ़े तीन करोड़ की आबादी वाले राज्य में केंद्र की इतनी कम मदद का मतलब तो साफ है कि भारत सरकार को झारखंड की फिक्र नहीं है। आखिर हमारे साथ केंद्र सौतेला व्यवहार क्यों कर रहा है?’

इसी तरह केरल के स्वास्थ्य सचिव डॉ. राजन खोबरागड़े ने बताया कि गुरुवार तक विदेशों से आई इस मदद में से कुछ भी उनके राज्य तक नहीं पहुंचा। केरल के मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 4 अप्रैल को फोन कर जल्द से जल्द ‘आपात’ मदद राज्य में पहुंचाने की मांग की थी।

कोरोना की बड़ी मार झेल रहे पंजाब के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने दैनिक भास्कर को बताया कि राज्य को गुरुवार तक 100 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और रेमडेसिविर की 2,500 डोज मिली हैं।

राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक उन्हें भी अब तक विदेशों से आई इस मदद में से कुछ भी नहीं मिला है। हालांकि राजस्थान के मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक उन्होंने केंद्र से ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की मांग की है। पर अभी तक उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है। इस बीच 5 अप्रैल को दिल्ली के हिस्से भी 730 टन मेडिकल ऑक्सीजन आई। इस पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र का आभार जताया। उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक 1500 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स और 5 क्रायोजेनिक ऑक्सीजन टैंकर उन्हें अब तक मिल चुके हैं। बिहार सरकार की तरफ से भी मदद मिलने की पुष्टि की गई है।

एयरपोर्ट सूत्रों के मुताबिक अब तक दिल्ली एयरपोर्ट पर 28 से ज्यादा फ्लाइट्स विदेशी मदद लेकर आईं हैं।

केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक 4 अप्रैल को हॉन्गकॉन्ग से प्लेन से 1088 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स लाए गए थे। इनमें से 738 दिल्ली में रखे गए, 350 मुंबई भेजे गए।

हेल्थ एक्सपर्ट भी उठा रहे सवाल

हेल्थकेयर फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉक्टर हर्ष महाजन ने कहा, ‘विदेशों से यह मदद आपात स्थिति के लिए भेजी गई है, लेकिन भारत सरकार इस मदद को राज्यों तक पहुंचाने की जल्दी में नहीं लगती। जब देश में संक्रमण के मामले 4 लाख को क्रॉस कर गए हों, जब अस्पतालों में घंटों के हिसाब से ऑक्सीजन पहुंच रही हो, वेंटिलेटर की कमी से लोगों की जान जा रही हो, ऐसे में भारत सरकार का सुस्त रवैया समझ से परे है। मैंने कई अस्पतालों और राज्यों में पता किया, लेकिन उन तक मदद गुरुवार तक नहीं पहुंची थी।’

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक विदेशों से मिली इस मदद को बांटने के लिए भारत सरकार ने 26 अप्रैल को तैयारी शुरू की थी, लेकिन कमाल की बात है कि इस विज्ञप्ति में यह भी लिखा है कि मदद वितरित करने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर यानी SOP 2 मई को जारी किया गया। यानी पूरे सात दिन विदेशों से आई इस मदद को एयरपोर्ट के गोदामों में रखा गया। इस प्रेस विज्ञप्ति में यह नहीं लिखा है कि मदद कब से बांटी जानी है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि चीन ने 1000 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भेजे हैं, आयरलैंड ने 700, ब्रिटेन ने 669, मॉरीशस ने 200, उज्बेकिस्तान ने 151, ताइवान ने 150, रोमानिया ने 80, थाईलैंड ने 30 और रूस ने 20 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भेजे हैं।

मंत्रालय ने उन सभी खबरों का खंडन किया है जिसमें दावा किया गया है कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर सीमा शुल्क विभाग के गोदामों में अनुमति नहीं मिलने के कारण पड़े हैं। साभार दैनिक भास्कर

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