कर्नाटक की सिद्धारमैया कैबिनेट का बड़ा फैसला, धर्मांतरण रोकथाम कानून निरस्त

बैंगलूर। कर्नाटक में सरकार बदलने के बाद से पिछली सरकार के कानूनों को पलटने का काम शुरू हो गया है। इसी क्रम में कर्नाटक कैबिनेट ने पिछली भाजपा सरकार द्वारा पेश किए गए धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करने का फैसला किया है।

सिद्धारमैया सरकार की कैबिनेट मीटिंग में यह फैसला लिया गया है। मीटिंग में आरएसएस के संस्थापक रहे केशव बलिराम हेडगेवार को स्कूली किताबों के सिलेबस से हटा दिया है। कर्नाटक के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने कहा, ‘हेडगेवार पर स्कूल सिलेबस में जो दिया गया था, उसे हटाया गया है। पिछले सरकार ने बीते साल जो भी बदलाव किए थे, उन्हें वापस लिया गया है। अब वही पढ़ाई होगी, जो पहले होती थी।’ इसके अलावा कैबिनेट ने एक फैसला और लिया है कि सभी सरकारी, गैर-सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों एवं कॉलेजों में संविधान की प्रस्तावना को पढ़ना अनिवार्य़ होगा।

वहीं कांग्रेस सरकार की ओर से धर्मांतरण विरोधी कानून को हटाने पर भाजपा ने हमला बोला है। पूर्व शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा, ‘ये लोग मुसलमानों के वोट चाहते हैं। सिद्धारमैया की सरकार हिंदुओं के खिलाफ है। ये लोग तो हिजाब को फिर से लागू करा सकते हैं। ये लोग अल्पसंख्यकों को वोट हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं और सब चीजों को राजनीति से जोड़ देते हैं।’ चर्चा है कि कांग्रेस सरकार गोहत्या निरोधक कानून भी हटा सकती है। पिछले दिनों एक मंत्री ने यहां तक कहा था कि यदि भैंसों को काटा जा सकता है तो फिर गायों को क्यों नहीं।

बता दें इससे पहले भाजपा सरकार ने ‘धर्मांतरण रोधी’ कानून बनाया था। इसके तहत गलत व्याख्या, बलात, किसी के प्रभाव में आकर, दबाव, प्रलोभन या किसी अन्य गलत तरीके से धर्मांतरण करने पर सजा का प्रावधान था। इसके तहत दोष साब‍ित होने पर तीन से पांच साल की सजा और 25 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया। इसके अलावा पीड़ित पक्ष नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति या जनजाति का होने पर तीन से दस साल की सजा और 50 हजार रुपये या उससे अधिक जुर्माने का प्रावधान था।

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