सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को बताया बकबास, मचा बवाल, जानिए किसने क्या कहा?

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस पर प्रतिबंध लगाने और ग्रंथ को बकवास बताने पर बवाल मच गया। बयान को लेकर साधु-संतों समेत राजनेताओं की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई है।

बीजेपी नेता अपर्णा यादव ने कहा कि आज भी भारत में कहा जाता है कि बेटा हो तो राम जैसा हो, राम भारत के चरित्र हैं और राम किसी एक धर्म या मजहब के नहीं है। शबरी के जूठे बेर खाकर श्रीराम ने कास्ट बैरियर को तोड़ा। स्वामी प्रसाद पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्होंने रामचरितमानस को पढ़ा ही नहीं। एक राजनेता की ओर से रामचरितमानस पर इस तरह की टिप्पणी करना उनकी निकृष्ट मानसिकता को दर्शाता था। ये वे अपने चरित्र के बारे में बता रहे हैं।

वहीं रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि रामचरितमानस पर इस तरीके का बयान देना बहुत ही निंदनीय है। मैं समझता हूं कि उस व्यक्ति को रामायण का ज्ञान नहीं है। सत्येंद्र दास ने अखिलेश यादव को आगाह करते हुए कहा कि अगर उन्हें सपा से नहीं निकाला गया तो यह उनके लिए घातक सिद्ध होगा।

इसके अलावा तपस्वी छावनी के परमहंस आचार्य ने कहा कि इस तरह की राजनीति कर समाज में जहर घोलने का काम किया जा रहा है। यह बिल्कुल गलत है। उन्होंने मौर्य को शास्त्रार्थ की चुनौती दी और कहा कि वह रामचरितमानस की एक भी चौपाई शुद्ध बोल नहीं पाएंगे। जो चौपाई नहीं बोल सकता, वो अर्थ क्या करेगा। उन्होंने कहा कि चाहे मुगल हों या अंग्रेज। दो हजार वर्ष से यही हो रहा है। लोगों को लड़ाकर तुच्छ स्वार्थ साधने वाले लोगों पर विधिक कार्रवाई होनी चाहिए।

विहिप ने मौर्य को बताया पागल
विहिप मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि हिन्दू धर्मग्रंथ श्रीरामचरित मानस पर पूर्व मंत्री सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे ‘ऐरे-गैरे, नथ्थू-खैरे’ प्रतिबंध लगाने की बेतुकी बातें कर रहे हैं। सत्ता-कुर्सी न मिलने के कारण उन पर पागलपन का दौरा पड़ रहा है। यूपी सरकार ऐसे मानसिक विक्षिप्त श्रीराम विरोधी को गिरफ्तार कर रांची या आगरा भेजे। उन्होंने कहा कि रामचरित मानस एक पुस्तक नहीं, मानव जीवन को सर्वश्रेष्ठ बनाने का अमृत कुंभ है। मौर्य ने श्रीराम भक्तों का अपमान किया है।

‘सपा में आने के बाद जानबूझकर एजेंडे के तहत’
स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर बीजेपी नेता राकेशधर त्रिपाठी ने कहा स्वामी प्रसाद मौर्या जब तक भारतीय जनता पार्टी में थे तब तक कभी भी उनके मुंह से कोई बदजुबानी नहीं सुनी लेकिन जब से समाजवादी पार्टी के साथ गए तो जानबूझकर समाजवादी पार्टी के एजेंडे के तहत हिंदुओं को अपमानित करने के लिए और तुष्टिकरण करने के लिए आज वो रामचरितमानस का इस तरह से विरोध करने का काम कर रहे हैं।

दरअसल समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक चैनल से बातचीत में कहा कि कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है। यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। स्वामी प्रसाद मौर्य यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरित मानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म में किसी को गाली देने का कोई अधिकार नहीं है। तुलसीदास की रामायण की एक चौपाई है जिसमे कहा गया की ब्राह्मण भले ही दुराचारी, अनपढ़ हो, लेकिन वह ब्राह्मण है। उसको पूजनीय कहा गया है। लेकिन शूद्र कितना भी ज्ञानी हो, उसका सम्मान मत कीजिए। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि अगर यही धर्म है तो ऐसे धर्म को मैं नमस्कार करता हूं। ऐसे धर्म का सत्यानाश हो, जो हमारा सत्यानाश चाहता हो।

सपा ने कहा कि सभी धर्मों का सम्मान करती है पार्टी
इस बीच, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन ने मौर्य के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर कहा कि समाजवादी पार्टी सभी धर्मों और परंपराओं का सम्मान करती है। स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा की गई टिप्पणी उनके निजी विचार हैं और उनका पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। सपा युवाओं, बेरोजगारों और महिलाओं के हक की आवाज उठाती है।

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