आजम के जौहर ट्रस्ट की जमीन वापस लेगी सरकार

रामपुर। सपा नेता व पूर्व केबिनेट मंत्री आजम खां के जौहर ट्रस्ट की 3825 वर्ग मीटर जमीन अब सरकार वापस लेगी। योगी केबिनेट में मंगलवार को इस पर मुहर लग गई है। बताया जाता है कि मौलाना मोहम्मद जौहर ट्रस्ट को 100 रुपए सालाना लीज जमीन दी गई थी। मगर, उसकी शर्तों का पालन नहीं किया है। ऐसे में माध्यमिक शिक्षा विभाग की जमीन को वापस ली जा रही है।

2012 में तत्कालीन सपा सरकार में जौहर ट्रस्ट को माध्यमिक शिक्षा विभाग की जमीन 30 साल के लिए दी थी। जमीन का किराया सिर्फ 100 रुपए सालाना तय किया था। उस वक्त आजम सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। तब उनके पास नगर विकास, अल्पसंख्यक कल्याण जैसे 7 अहम विभाग थे। पहले जमीन पर जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षाधिकारी और राजकीय मुर्तजा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चल रहे थे। राजस्व विभाग के अफसरों की माने, तो जमीन की वास्तविक कीमत करीब 100 करोड़ रुपए है। भाजपा विधायक आकाश सक्सेना मुख्यमंत्री से इस मामले की शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के लिए आवंटित भूमि पर रामपुर पब्लिक स्कूल और समाजवादी पार्टी के कार्यालय का संचालन होता है, जो आवंटन नियमों के खिलाफ है।
इससे शासन को वित्तीय क्षति पहुंची है। इस मामले में मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ ने जांच के लिए कमेटी गठित कर दी। जांच में सभी आरोप सही पाए गए। जिस पर जिलाधिकारी ने पट्टा निरस्त करने की मंजूरी दी। इसके बाद आज कैबिनेट बैठक में तोपखाना रोड स्थित कार्यालय दारुल अवाम और रामपुर पब्लिक स्कूल की लीज निरस्त को रद्द कर दिया गया।

अलग जेलों में निरुद्ध है परिवार
आजम खां अपने बेटे अब्दुल्ला के दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के मामले में सीतापुर जेल में बंद हैं। जबकि इसी मामले में बेटा अब्दुल्ला हरदोई और उनकी पत्नी डॉ. तंजीम फातिमा रामपुर जेल में बंद हैं।

19 अन्य प्रस्ताव भी हुए पास
इसके अलावा केबिनेट बैठक में 19 प्रस्ताव और पास हुए। इसमें नए पेराई सत्र के लिए गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर मुहर लगी है। इसके अतिरिक्त मिर्जापुर, देवीपाटन, मुरादाबाद मंडल में एक-एक राज्य विश्वविद्यालय खोलने की भी मंजूरी मिली है। मथुरा में ैज्ञै इंटरनेशनल विश्वविद्यालय की स्थापना की भी मंजूरी मिली है। बड़ी कंपनियों को उत्तर प्रदेश में आकर्षित करने के लिए फार्च्यून-500 कंपनियों को रियायती दरों पर जमीन देने के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इससे पहले इन कंपनियों को मिलने वाली सब्सिडी का प्रस्ताव खारिज हो चुका है। इसे दोबारा संशोधन के बाद कैबिनेट में लाया गया है।

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