‘आप सर्दी से डरते हो मैं नही डरता’, टी-शर्ट वाले सवाल पर राहुल गांधी का जवाब

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नई दिल्ली। राजधानी में में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है लेकिन फिर भी भारत जोड़ो यात्रा कर रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार सिर्फ एक टीशर्ट पहने हुए नजर आ रहे हैं। कई बार उनसे पूछा जा चुका है कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं? अब इसका जवाब खुद राहुल गांधी ने दिया है।

राहुल गांधी ने बताया कि उनको इस वजह से सर्दी नहीं लगती है क्योंकि वो ठंड से डरते नहीं है।जो भी लोग स्वेटर या जैकेट पहन रहे हैं वो ठंड से डरते हैं इसलिए उनको सर्दी लगती है लेकिन मेरे केस में ऐसा नहीं है। मेरी यात्रा ही डर के खिलाफ है। मुझे डर नहीं लगता है।

इस दौरान राहुल गांधी ने यह भी कहा कि वो आरएसएस को अपना गुरु मानते हैं क्योंकि ये उन्हें रास्ता दिखाते हैं कि क्या नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने बहुत सारी गलतियां की हैं। हम हिंदुस्तान को सोचने का और जीने का नया तरीका देना चाहते हैं। राहुल गांधी ने कहा, “मैं चाहता हूं कि वो मुझ पर आक्रामक होकर प्रहार करें, इससे कांग्रेस पार्टी को अपनी विचारधारा समझने में मदद मिलेगी। मैं उन्हें अपना गुरु मानता हूं, वो मुझे रास्ता दिखा रहे हैं और मुझे ट्रेन कर रहे हैं कि क्या नहीं करना चाहिए।”

राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा के खिलाफ लोगों में जबरदस्त गुस्सा है। अब बीजेपी और कांग्रेस के बीच लड़ाई सिर्फ राजनीतिक लड़ाई नहीं है। विपक्ष को एक केंद्रीय वैचारिक ढांचे की जरूरत है जो सिर्फ कांग्रेस प्रदान कर सकती है लेकिन हमारी भूमिका यह सुनिश्चित करने की भी है कि विपक्षी दल सहज महसूस करें।

‘चीन ने हमारे इलाके पर कब्जा कर लिया’
राहुल गांधी ने कहा कि चीन हमारा 2000 किमी क्षेत्र ले गया और PM जी कह रहे हैं कि कोई नहीं आया। अगर मैं आपके घर में घुस गया और आप कहें कि कोई नहीं घुसा तो इससे क्या संदेश जाएगा? सरकार इस पर भ्रमित हैं। जब हम सरकार पर बात करते हैं तो वह आर्मी के पीछे छिप जाते हैं। सरकार और आर्मी में फर्क है।

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने चीन के मामले को पूरी तरह से अप्रभावी तरीके से संभाला है। कांग्रेस की विदेश नीति का लक्ष्य था कि चीन और पाकिस्तान को एक नहीं होने देना है जो हमने UPA-2 तक बखूबी किया। आज पाकिस्तान और चीन एक हो गए हैं। यह मामूली बात नहीं है। उन्होंने कहा कि इन्होंने पहला कदम डोकलाम और दूसरा कदम लद्दाख में लिया। मुझे लग रहा है कि यह तैयारी कर रहे हैं। अब सवाल ‘अगर’ का नहीं बल्कि ‘कब’ का है। सरकार को हमारी वायु, थल और नौसेना की बात सुननी होगी और सेना का राजनीतिक इस्तेमाल बंद करना होगा।

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