तब्लीगी जमात के कट्टरपंथी इस्लामवादियों ने की थी उमेश कोल्हे की हत्या

अमरावती। पूर्व भाजपा नेता नुपुर शर्मा मामले को लेकर महाराष्ट्र के अमरावती में हुई फार्मासिस्ट उमेश कोल्हे हत्याकांड में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मुंबई एनआईए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। आरोपपत्र के अनुसार तब्लीगी जमात के कट्टरपंथी इस्लामवादियों उमेश कोल्हे की हत्या की थी।

एनआईए ने अपनी चार्जशीट में बताया है कि पैगंबर मोहम्मद के कथित अपमान का बदला लेने के लिए तब्लीगी जमात के कट्टरपंथी इस्लामवादियों महाराष्ट्र के अमरावती के एक फार्मासिस्ट उमेश कोल्हे की हत्या कर दी थी। एनआईए ने इस घटना को कट्टरपंथी लोगों के एक गिरोह का आतंकी कृत्य बताते हुए कहा कि उन्होंने इस आधार कोल्हे की हत्या की थी कि उसने कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को आहत किया था। वे इस हत्या को एक उदाहरण के रूप में पेश करना चाहते थे।  एनआईए ने कहा कि जांच से पता चला है कि तब्लीगी जमात के कट्टरपंथी इस्लामवादियों ने उमेश कोल्हे की हत्या कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को आहत करने, विभिन्न जातियों और धर्मों विशेष रूप से भारत में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दुश्मनी, दुर्भावना और नफरत को बढ़ावा देने के लिए की थी। जो सामाजिक सद्भाव के के लिए प्रतिकूल है।

उमेश कोल्हे की हत्या की साजिश?
एनआईए की चार्जशीट के मुताबिक उमेश कोल्हे को खत्म करने की साजिश एक आरोपी यूसुफ खान के साथ शुरू हुई थी। यूसुफ खान (पशु चिकित्सक) को सबसे पहले यह सूचना मिली की 14 जून को उमेश कोल्हे ने ब्लैक फ्रीडम नामक एक ग्रुप पर पोस्ट किया था।

एनआईए ने दावा किया कि यूसुफ ने जानबूझकर उमेश कोल्हे का नंबर बदलने के बाद पोस्ट का स्क्रीनशॉट लिया और इसे इरफान द्वारा बनाए गए “कलीम इब्राहिम” नामक एक अन्य ग्रुप में इसको शेयर किया और अन्य लोगों को भड़काया। एनआईए ने दावा किया कि उमेश कोल्हे की हत्या की साजिश इन संदेशों के शेयरिंग की से शुरू हुई थी।

एजेंसी ने दावा किया कि 19 जून को पोस्ट के बाद सभी मुख्य आरोपी मोहम्मद शोएब, आतिब राशिद, इरफान और शाहिम अहमद अमरावती के गौसिया हॉल में मिले। समूह ने बैठक में उमेश कोल्हे को मारने का फैसला किया और इरफान उन्हें पूरा समर्थन देने के लिए तैयार हो गए।

दो बार हुई थी हत्या की कोशिश
उस बैठक में इरफान ने आरोपियों को मोबाइल फोन नहीं ले जाने, काली टी-शर्ट और ट्रैक पैंट पहनने और अपनी पहचान छुपाने के लिए अनिवार्य रूप से अपने चेहरे को दुपट्टे से ढकने के बारे में बताया था। इस तरह आरोपी व्यक्तियों ने अपने सामान्य इरादे से उमेश कोल्हे को मारने के लिए ए-7 (इरफान) के नेतृत्व में एक आतंकवादी गिरोह बनाया। जिसके बाद उमेश कोल्हे 20 जून को जब वह अपनी दवा की दुकान के लिए निकल रहा था तो आरोपी उसकी हत्या करना चाहते थे। हालांकि उमेश कोल्हे के नहीं आने से उनकी प्लानिंग फेल हो गई।

इसके बाद इरफान ने एक और योजना तैयार की और उनकी साजिश को अंजाम देने के लिए उमेश कोल्हे की हरकतों पर नजर रखने के लिए एक रेकी टीम बनाई। यह ग्रुप 20 जून की रात को अन्य आरोपियों शेख शकील, अब्दुल अरबाज मुदस्सिर अहमद, अब्दुल तौफीक शेख और अतीब के साथ फिर से मिला और अपनी योजना को अंजाम देने की रणनीति तैयार करने के लिए इरफान के साथ इकट्ठा हुए। रेकी करने वाले मोहम्मद शोएब और शाहिम अहमद ने उमेश कोल्हे का पता लगाने में मदद की। जब वह मौके पर पहुंचा तो दोनों ने उसकी बाइक रोक दी और शोएब ने उस पर चाकू से हमला कर दिया।

हत्या के बाद मनाया गया था जश्न
जांच में पता चला कि हत्या के बाद आरोपी मौके से फरार हो गए थे और इरफान से मिले थे। जिसके बाद सभी ने साथ मिलकर हत्या का जश्न मनाया और पार्टी का आयोजन किया था। एजेंसी ने दावा किया कि अब्दुल अरबाज जो उनके ग्रुप का हिस्सा था, वह पुष्टि करने के लिए अस्पताल गया कि उमेश कोल्हे मरा या नहीं। कंफर्म होने के बाद मौलवी को मौत के बारे में बताया गया।

इन आरोपियों के खिलाफ दाखिल हुई चार्जशीट
मिली जानकारी के मुताबिक, एनआईए ने जिन आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की है, उनमें मुबाशिर अहमद, शाहरुख खान, अब्दुल तौसीफ शेख, मोहम्मद शोएब, आतिब राशिद, युसूफ खान, फैन खान, अब्दुल अरबाज, मुस्फीक अहमद, शेख शकील और शाहिम अहमद के नाम शामिल हैं।

संपत्ति विवाद जैसा कुछ नहीं
जांच में पता चला कि आरोपियों ने कोल्हे की हत्या के लिए एक आपराधिक साजिश रची थी। इस हत्या के पीछे कोई संपत्ति विवाद नहीं था। इसके अलावा कोल्हे का आरोपी व्यक्तियों के साथ विवाद का भी कोई इतिहास नहीं था। इसके अलावा एनआईए ने मृतक उमेश कोल्हे को कानून का पालन करने वाला नागरिक भी करार दिया है।

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