दमोह। मध्य प्रदेश के कांग्रेसी नेता और पूर्व मंत्री राजा पटेरिया को दमोह जिले के हाता आवास से गिरफ्तार कर लिया गया है। उनके पीएम नरेंद्र मोदी पर विवादित बयान के बाद ही गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने एफआईआर के निर्देश दिए थे। राजा पटेरिया के बयान पर जब विवाद पनपा तो उन्होंने कहा कि उन्होंने जो कुछ कहा था उसे गलत संदर्भ में पेश किया गया। वो तो मौजूदा सरकार में देश के हालात के बारे में बात कर रहे थे।
रविवार को कार्यकर्ताओं के एक समूह से बात करते हुए, राजा पटेरिया को वीडियो में यह कहते हुए सुना जा सकता है, ”सरकार या प्रशासन के किसी भी दबाव का विरोध करने की आवश्यकता है। मैं उन्हें (जिला कांग्रेस अध्यक्ष) तब से जानता हूं, जब वह युवा कांग्रेस के अध्यक्ष थे। अगर उसने आपकी गारंटी ले ली है, तो वह पीछे नहीं हटेगा। मैं वही दोहरा रहा हूं जो मैंने कल कहा था कि मोदी चुनाव खत्म कर देंगे। वह धर्म, जाति और भाषा के आधार पर विभाजित करेंगे। अल्पसंख्यकों, दलितों और वनवासियों (आदिवासियों) का जीवन खतरे में है। अगर हमें संविधान बचाना है तो आपको मोदी को मारने के लिए तैयार रहना होगा।”
कांग्रेस ने राजा पटेरिया को भेजा कारण बताओ नोटिस
भाजपा ने जहां कांग्रेस पार्टी की आलोचना की है। वहीं राजा पटेरिया ने भाषण का वीडियो वायरल होने के बाद दावा किया है कि उनके बयान को गलत समझा गया है। उन्होंने कहा कि उनके वीडियो को गलत तरीके से पेश किया गया है। हालांकि कांग्रेस ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा है।
CM शिवराज बोले- कांग्रेस नेता मोदी को मारने की बात कर रहे हैं…
उनके बयान के वायरल होते ही बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस और उसके नेताओं पर जमकर निशाना साधा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ”भारत जोड़ो यात्रा का ड्रामा करने वालों की हकीकत सामने आ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता के दिल में बसते हैं, वे पूरे देश की श्रद्धा और आस्था के केंद्र हैं। जब कांग्रेस जमीन पर उनका मुकाबला नहीं कर सकती तो कांग्रेस नेता मोदी को मारने की बात कर रहे हैं।”
‘मेरा मतलब सचमुच प्रधानमंत्री को मारना नहीं था बल्कि…’
राजा पटेरिया, जो प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष हैं, विवाद बढ़ने के बाद स्पष्ट किया कि उनके आदर्श महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, बीआर अंबेडकर और राम मनोहर लोहिया हैं। राजा पटेरिया ने कहा, ”मेरे बयान को गलत समझा गया। मेरा मतलब सचमुच प्रधानमंत्री को मारना नहीं था बल्कि उन्हें चुनाव में हराना था। यह उस सरकार को हराने के बारे में है जो महात्मा गांधी की बजाय (नाथूराम) गोडसे की विचारधारा की समर्थक हैं।”
कौन हैं राजा पटेरिया?
राजा पटेरिया दमोह जिले की हट्टा तहसील के रहने वाले हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1971 में जबलपुर में एक साइंस कॉलेज में पढ़ते हुए कांग्रेस के साथ की थी। 1992 में हट्टा से विधानसभा उपचुनाव जीतने के बाद वे पहली बार सार्वजनिक पद के लिए चुने गए। उन्होंने 1998 में हट्टा से अपना दूसरा कार्यकाल सफलतापूर्वक जीता और दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में जगह बनाई। उन्होंने 1998 से 2003 तक तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। 2009 में खजुराहो से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए भी राजा पटेरिया को टिकट दिया गया। लेकिन वह 27,000 से अधिक मतों के अंतर से भाजपा के जितेंद्र सिंह से हार गए थे।