यूपी के इन रास्तों पर खुले में नहीं होगी मांस की बिक्री, प्रतिबंध लगाने की तैयारी में योगी सरकार

सीएम योगी

मथुरा। यूपी के वृंदावन में मांस की बिक्री पर रोक लगाने के बाद अब योगी सरकार एक बार फिर सख्त हो गई। योगी सरकार कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले खुले में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है। यूपी सरकार कावंड यात्रा के लिए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम करने के साथ ही यात्रा के लिए निर्धारित मार्गों पर खुले में मांस की बिक्री पर रोक लगाने को कदम उठा रही है।

अधिकारियों ने बताया कि स्थानीय, जिला और पुलिस प्रशासन इसे सुनिश्चित करने के लिए मांस व्यापारियों से संपर्क कर रहा है। शिव भक्तों की आस्था से जुड़ी कांवड़ यात्रा 14 जुलाई से शुरू होगी और एक पखवाड़े तक चलेगी। 2020 और 2021 में कोविड-19 के प्रकोप के कारण कांवड़ यात्रा आयोजित नहीं की गई थी।

2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बनने के बाद कांवड़ियों पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने की भी परंपरा शुरू हुई थी। योगी ने ही कांवड़ यात्रा में डीजे पर लगा प्रतिबंध भी हटाया था। भगवान शिव के भक्त, जिन्‍हें ‘कांवड़िया’ कहा जाता है, गंगा के तटों पर जाकर जल ले आते हैं और उसे अपने इलाके में स्थित मंदिरों से लेकर घरों तक में चढ़ाते हैं। योगी ने हाल ही में एक बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे कांवड़ यात्रियों के लिए निर्धारित मार्गों पर स्वच्छता का ध्यान रखें और वहां खुले में मांस की बिक्री पर रोक लगाने के अलावा पर्याप्त प्रकाश व प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था करें।

अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने बताया, “मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं कि कांवड़ यात्रा पूरे राज्य में सुरक्षित और शांतिपूर्ण तरीके से हो। बरेली के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने कहा, हमने मांस व्यापारियों से संपर्क किया है और उन्हें यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि खुले में मांस की बिक्री न हो। व्यापारियों ने हमें इस निर्देश पर अमम का आश्वासन दिया है।

बिजनौर के पुलिस अधीक्षक दिनेश सिंह ने कहा कि उन्होंने भी मांस व्यापारियों से इसी तरह की अपील की है, जिन्होंने भरोसा दिलाया है कि कांवड़ियों के रास्ते में मांस की बिक्री नहीं होगी। राज्य भर के जिला अधिकारियों ने कांवड़ यात्रा के लिए निर्धारित सड़कों की मरम्मत का काम शुरू कर दिया है। कांवड़ियों की सर्वाधिक संख्या वाले इलाके मेरठ के मंडलायुक्त सुरेंद्र सिंह ने कहा, हाल ही में मैंने संभाग के सभी जिलों के जिलाधिकारियों के साथ बैठक की और कांवड़ यात्रा से जुड़ी व्यवस्था करने का काम जोरों पर है। उन्होंने कहा, अधिकारी मार्ग में उचित साफ-सफाई, सुरक्षा व्यवस्था और महत्वपूर्ण स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने सहित छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख रहे हैं।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिले के अधिकारी मार्गों पर चिकित्सा शिविर लगाने की योजना भा बना रहे हैं। सिंह ने कहा, चूंकि, पिछले दो वर्षों में यात्रा नहीं हुई है, इसलिए हम इस बार कांवड़ यात्रियों की संख्या में वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं। अधिकारियों को व्यवस्था करते समय इस बात को ध्यान में रखने का निर्देश दिया गया है। सिंह ने कहा, हमने मार्ग में पड़ने वाले व्यापारिक प्रतिष्ठानों और भोजनालयों के संचालकों से भी कहा है कि वे दाम को लेकर कांवड़ यात्रियों के साथ किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए अपने मेन्यू को कीमत सहित प्रमुखता से दर्शाएं।

प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक, हरिद्वार (उत्तराखंड) पहुंचने के लिए लाखों श्रद्धालु पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, शामली, मेरठ, गाजियाबाद और बागपत जिलों से गुजरते हैं। दिल्ली, मध्य प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान से कांवड़िये उत्तराखंड पहुंचने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 58 का रास्ता अपनाते हैं। यह राजमार्ग गौतम बौद्ध नगर, गाजियाबाद, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और मेरठ से होकर गुजरता है और रुड़की (उत्तराखंड) होते हुए हरिद्वार पहुंचता है।

दिल्ली, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भी श्रद्धालु सहारनपुर, शामली और बागपत जिलों से होकर जाते हैं। मुरादाबाद और बरेली से बड़ी संख्या में श्रद्धालु बिजनौर और अमरोहा होते हुए हरिद्वार पहुंचते हैं। मेरठ परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक प्रवीण कुमार ने कहा, हमारा मकसद कांवड़ यात्रा के लिए स्पष्ट मार्ग उपलब्ध कराना होगा। इसके लिए बैरिकेड लगाने और मार्ग परिवर्तन करने की योजना बनाई जा रही है। थाना स्तर पर क्षेत्र के वरिष्ठ धर्म गुरुओं और शांति समितियों के साथ बैठकें भी की जा रही हैं।

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