दिल्ली में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल खत्म, पुलिस वापस लेगी एफआईआर

नई दिल्ली। दिल्ली में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों के बीच दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल को खत्म करने की घोषणा की है। हड़ताल के चलते राजधानी दिल्ली के कई बड़े अस्पतालों में रोगियों का इलाज प्रभावित हो रहा था। पिछले दो सप्ताह से नीट पीजी काउंसलिंग में देरी और पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई का विरोध कर रहे रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे।

फेडरेशन ऑप रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FORDA) के अध्यक्ष डॉ. मनीष ने कहा कि मरीज पहले से ही काफी परेशान हो रहे हैं। कई सर्जरियां भी हड़ताल की वजह से टली हैं। इन सभी हालातों को ध्यान में रखते हुए हमने तय किया है कि आज दोपहर 12 बजे से सभी डॉक्टर काम पर लौटेंगे। डॉ. मनीष ने बताया है कि जॉइंट सीपी के साथ बीती रात उनकी एक मीटिंग हुई। इस दौरान बताया गया कि आईटीओ प्रोटेस्ट को लेकर डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

दरअसल NEET काउंसलिंग में देरी के कारण डॉक्टर 15 दिनों से प्रदर्शन कर रहे थे। काउंसलिग का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सफदरजंग, लोकनायक, जीटीबी, जीबी पंत, आरएमएल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज जैसे बड़े अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर्स प्रदर्शन कर रहे है, इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

लिहाजा डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट का घेराव करने के लिए पैदल मार्च निकाला लेकिन पुलिस ने प्रदर्शन शुरु होते ही डॉक्टरों को रोक लिया। इस दौरान पुलिस के साथ डॉक्टरों की हाथापाई भी हुई। दावा है कि 2500 डॉक्टरों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया हालांकि बाद में पुलिस ने सबको छोड़ दिया।

पुलिस के इस कार्रवाई से नाराज डॉक्टरों ने रात में सफदरगंज अस्पताल से मार्च निकाला और सरोजनी नगर थाने का घेराव किया। इस दौरान डॉक्टरों ने जमकर नारेबाजी की। डॉक्टरों का आरोप है कि पुलिस ने डॉक्टरों के साथ धक्का-मुक्की और मारपीट की। डॉक्टरों ने दिल्ली के पुलिस कमीश्नर को मामले पर चिट्ठी भी लिखी। पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए पुलिस के एक्शन पर सवाल भी पूछा है कि आखिरकार शांतिपूर्ण मार्च में पुलिस ने गलत व्यव्हार क्यों किया?

वहीं एम्स के रेजिंडेंट डॉक्टरों के संगठन ने स्वास्थ्य मंत्री के नाम चिट्ठी लिखकर सरकार और पुलिस से माफी की मांग की हालांकि पुलिस मारपीट के आरोपों से इंकार कर रही है। मामले में पुलिस डॉक्टरों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई में बाधा डालने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में केस दर्ज किया था।

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