‘ये यात्रा मेरे लिए एक तपस्या, इसने मुझे बहुत कुछ सिखाया’ राहुल गांधी ने लिखा पत्र

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नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगभग 3500 किलोमीटर की ‘भारत जोड़ा यात्रा’ पूरी कर चुके हैं। इस मौके पर उन्होंने देशवासियों के नाम एक खुली चिट्ठी लिखी है। अपनी चिट्ठी में राहुल गांधी ने कहा कि वे संसद से सड़क तक संघर्ष करते रहेंगे। राहुल गांधी ने कहा, ”भारत जोड़ो यात्रा ने उन्हें सिखाया है कि मेरे व्यक्तिगत और राजनीतिक जीवन का लक्ष्य एक ही है- हक की लड़ाई में कमजोरों का ढाल बनना और जिनकी आवाज दबाई जा रही है, उनकी आवाज उठाना।” 

राहुल गांधी ने लिखा, ‘मेरे साथी भारतीयों, मैं आपको 3500 किलोमीटर लंबी ऐतिहासिक भारत जोड़ो यात्रा पूरी करने के बाद (पत्र) लिख रहा हूं। इस यात्रा में लाखों भारतीय हमारे साथ कन्याकुमारी से कश्मीर तक चले। यह मेरे जीवन की सबसे समृद्ध यात्रा थी, और मैं उस प्यार और स्नेह से अभिभूत हूं जो हर एक भारतीय ने हम पर बरसाया है।” उन्होंने लिखा, “मैंने रास्ते में आपकी सभी कहानियां ध्यान से सुनीं। एक सुस्पष्ट आर्थिक संकट मंडरा रहा है – युवाओं में बेरोजगारी, असहनीय महंगाई, गंभीर कृषि संकट, और देश की संपत्ति पर पूरी तरह से कॉर्पोरेट कब्जा।”

राहुल गांधी आगे लिखते हैं, “लोग अपनी नौकरी खोने के बारे में चिंतित हैं, उनकी आय में और गिरावट आ रही है, और उनके बेहतर भविष्य के सपने चकनाचूर हो रहे हैं। देश भर में निराशा की गहरी भावना है। आज हमारी अनेकता भी खतरे में है। विभाजनकारी ताकतें हमारी विविधता को हमारे खिलाफ करने की कोशिश कर रही हैं- विभिन्न धर्मों, समुदायों, क्षेत्रों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा किया जा रहा है। ये ताकतें, जो संख्या में मुट्ठी भर हैं, जानती हैं कि जब लोग असुरक्षित और डरे हुए महसूस करते हैं, तभी वे ‘दूसरे’ के लिए नफरत के बीज बो सकते हैं। लेकिन इस यात्रा के बाद मुझे विश्वास हो गया है कि इस शातिर एजेंडे की अपनी सीमाएं हैं और यह अब और नहीं चल सकता।”

‘आपस में ही लड़ाया जा रहा’
कांग्रेस नेता ने पत्र में लिखा कि आज हमारी विविधता भी खतरे में है। कुछ विभाजनकारी ताकतें हमारी विविधता को हमारे ही खिलाफ इस्तेमाल कर रही हैं। एक धर्म को दूसरे धर्म से एक जाति को दूसरी जाति से एक भाषा को दूसरी भाषा से और एक राज्य को दूसरे राज्य से लड़ाया जा रहा है। ये विभाजनकारी ताकते जानती हैं कि लोगों के दिलों में असुरक्षा और डर पैदा करके हो वो समाज में नफरत के बीज बो सकते हैं। लेकिन इस यात्रा के बाद मुझे पूरा विश्वास हो गया है कि नफरत की राजनीति की अपनी सीमायें है और यह ज्यादा दिन तक नहीं चल सकती।

‘इस यात्रा ने लड़ने के लिए एक नई ताकत दी’
राहुल गांधी ने कहा कि इस यात्रा ने मुझे आप सब के हक़ में लड़ने के लिए एक नई ताकत दी है। ये यात्रा मेरे लिए एक तपस्या थी। जिसने मुझे सिखाया कि मेरे जीवन का ही लक्ष्य है- हक़ की लड़ाई में कमजोरों की ढाल बनना, जिनकी आवाज दबी जा रही है उनकी आवाज उठाना। उन्होंने लिखा कि मेरा सपना देश को अअंधेरे से उजाले की ओर, नफरत से मोहब्बत की ओर, निराशा से आशा की ओर ले जाना है। 

‘कांग्रेस परिवार देश की परगति के समर्पित है’ 
राहुल गांधी ने लिखा कि कांग्रेस परिवार पिछले 137 वर्षों से भारत की प्रगति के लिए समर्पित है फिर चाहे वह आजादी की लड़ाई हो, आजादी के बाद देश को एक सूत्र में पिरोना हो या फिर आजाद देश को सामाजिक, आर्थिक और वैज्ञानिक उंचाइयों पर ले जाना हो। कांग्रेस ने हर मुश्किल समय में भारत को जोड़ने का काम किया है। उन्होंने लिखा कि आज फिर भारत एक मुश्किल दौर से गुजर रहा है। हमने एकता और भाईचारे का संदेश घर-घर तक ले जाने के लिए हाथ से हाथ जोड़ो अभियान की शुरुआत की है। 

बता दें कि राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा 30 जनवरी को जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में समाप्त होगी। इससे पहले राहुल ने अपनी चिट्ठी में लिखा, “मैं इन बुराइयों को मिटाने के लिए सड़कों से लेकर संसद तक, हर एक दिन लड़ूंगा। मैं सभी के लिए आर्थिक समृद्धि बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं – किसानों की उपज का सही मूल्य, हमारे युवाओं के लिए नौकरियां, देश के धन का उचित वितरण, एमएसएमई और उद्यमियों के लिए एक सक्षम वातावरण, सस्ता डीजल, एक मजबूत रुपया और 500 रुपये में गैस सिलेंडर।

‘भारत जोड़ो यात्रा’ अपने पंजाब चरण में है। इसके तहत लुधियाना, गोराया, फगवाड़ा, जालंधर, दसुआ और मुकेरियां से होकर गुजरेगी। यात्रा के जम्मू-कश्मीर में दाखिल होने से पहले कांग्रेस 19 जनवरी को पठानकोट में एक रैली आयोजित करेगी। तमिलनाडु के कन्याकुमारी से सात सितंबर को शुरू हुई ‘भारत जोड़ो यात्रा’ 30 जनवरी को श्रीनगर में समाप्त होगी, जहां राहुल जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी में तिरंगा फहराएंगे। यह पदयात्रा अब तक तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से होकर गुजर चुकी है।

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