वीके भावरा होंगे पंजाब के नए डीजीपी

चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने राज्य के नए डीजीपी के नाम को हरी झंडी दे दी है। वीके भावरा पंजाब के नए डीजीपी होंगे।

1987 बैच के आइपीएस अफसर वीके भावरा 2019 में भी बतौर एडीजीपी पंजाब में चुनाव करवा चुके है। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने आज चुनाव आचार संहिता लागू होने से कुछ घंटे पहले ही उनके नाम पर मुहर लगा दी है। दरअसल, कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम की कुर्सी से हटाने के बाद चरणजीत चन्नी नए मुख्यमंत्री बने। हालांकि उन्होंने तुरंत डीजीपी दिनकर गुप्ता को नहीं हटाया। इसके बगैर ही 30 सितंबर को पंजाब की चन्नी सरकार ने यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) को अफसरों की लिस्ट भेज दी। हालांकि तब दिनकर गुप्ता छुट्‌टी पर थे। उन्हें सरकार ने 5 अक्टूबर को हटाया। यहीं पर पेंच फंसा था क्योंकि UPSC का कहना है कि जब से दिनकर गुप्ता को हटाया गया तब से ही डीजीपी पद खाली माना जाएगा। उसी हिसाब से पैनल भेजा जाएगा। वहीं सरकार 30 सितंबर से इसका आकलन करने को कह रही थी। हालांकि UPSC ने उसे नहीं माना। 5 अक्टूबर से नाम भेजे जाने की वजह से चट्‌टोपाध्याय 6 महीने का कार्यकाल बाकी रहने ही शर्त को पूरा नहीं कर पा रहे। वह 31 मार्च 2022 को सेवामुक्त हो रहे हैं।

यूपीएससी ने डीजीपी के पद के लिए तीन अफसरों का चयन किया जिसमें मौजूदा कार्यकारी DGP सिद्धार्थ चट्‌टोपाध्याय का नाम नहीं था। इस लिस्ट में 1987 बैच के दिनकर गुप्ता और वीके भावरा हैं और 1988 बैच के प्रबोध कुमार हैं। चूंकि दिनकर गुप्ता गृह विभाग को पहले ही लिखकर दे चुके हैं कि वह डीजीपी बनने के इच्छुक नहीं हैं वहीँ प्रबोध कुमार बेअदबी कांड की जांच में शामिल होने और इस पर कोई कार्रवाई न कर पाने को लेकर सरकार की पसंदीदा अफसरों की सूची से पहले ही उतर गए थे। दिनकर गुप्ता की तरह प्रबोध कुमार ने भी अपना केंद्रीय डेपुटेशन पर जाने की इच्छा व्यक्त की थी। इसलिए वीके भावरा पहले से ही डीजीपी रेस में सबसे आगे थे।

आपको बता दें प्रधानमंत्री की सुरक्षा चूक से जुड़े मामले में सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय सबसे ज़्यादा सवालों के घेरे में हैं और उसकी कई वजह हैं:

Exit mobile version