आईपीएस मनोज वर्मा: नक्सलियों के खौफ का नाम, कोलकाता की सुरक्षा का नया अवतार

कोलकाता:- आरजी कर अस्पताल में प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के साथ हुई दरिंदगी के खिलाफ जूनियर चिकित्सकों का आंदोलन तेज हो गया है। इस घटना के मद्देनजर, पश्चिम बंगाल सरकार ने कोलकाता के पुलिस आयुक्त विनीत गोयल और अन्य अधिकारियों को पद से हटा दिया।
अब 1998 बैच के आईपीएस अधिकारी मनोज वर्मा को कोलकाता का नया पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया है। वर्मा, जो पहले राज्य पुलिस के एडीजी (कानून-व्यवस्था) थे, माओवाद प्रभावित पश्चिम मेदिनीपुर जिले में माओवादी गतिविधियों के खिलाफ महत्वपूर्ण कार्रवाई के लिए 2017 में राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित हो चुके हैं।
वहीं, सीबीआई ने आरजी कर अस्पताल में हुई दरिंदगी और वित्तीय अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में कलकत्ता हाई कोर्ट को अपनी प्रगति रिपोर्ट सौंपी है। न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज ने सीबीआई को 25 नवंबर तक एक और रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और टाला थाने के प्रभारी अभिजीत मंडल को तीन दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया गया है।
मनोज वर्मा की नियुक्ति से उम्मीद की जा रही है कि वह कानून-व्यवस्था को मजबूत करेंगे और अस्पताल से जुड़े मुद्दों का समाधान निकालेंगे। यह घटनाक्रम न केवल कोलकाता में सुरक्षा की चुनौतियों को उजागर करता है, बल्कि पुलिस प्रशासन के लिए एक नए युग की शुरुआत का संकेत भी है।
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