गाजियाबाद: नहीं रहे सेवाराम यात्री, साहित्य जगत में शोक

गाजियाबाद। प्रख्यात साहित्यकार सेवाराम यात्री (से.रा.) ने शुक्रवार को दुनिया से अलविदा कह दिया। वह 91 साल के थे। कविनगर क्षेत्र में स्थित अपने आवास पर उन्होंने आखिरी सांस ली। वहीं उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही हैं। हिंडन नदी के घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

सेवाराम यात्री मुजफ्फरनगर जिले के गांव जड़ोदा पांडा में जन्में थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बुलंदशहर में हुई। साल-1955 में आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान और 1957 में हिन्दी साहित्य में एमए किया। वे गाजियाबाद के एमएमएछ कॉलेज में प्रवक्ता रहे और फिर यहीं पर बस गए थे। उन्होंने साल-1971 में श्दूसरे चेहरेश् नामक कथा संग्रह से अपनी साहित्य यात्रा की शुरुआत की। पांच दशकों की यात्रा में उन्होंने 18 कथा संग्रह, 33 उपन्यास, 2 व्यंग संग्रह, 1 संस्मरण और एक संपादित कथा संग्रह हिन्दी जगत के पाठकों को दी। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की ओर से 2008 का महात्मा गांधी पुरस्कार दिया गया था। उन्हें 16 नवंबर को ही दीपशिखा संस्थान ने साहित्य सृजन की यात्रा करने पर श्दीपशिखा पुरस्कारश् देने की भी घोषणा की थी। जबकि दूसरे दिन ही उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

दूरदर्शन ने बनाई थी फिल्म
वर्ष 1987 से वर्ष 2003 तक हिन्दी की महत्वपूर्ण पत्रिका “वर्तमान साहित्य” का उन्होंने सम्पादन किया है। वर्ष 2009 में उनकी कहानी “दूत” पर दूरदर्शन ने फिल्म का निर्माण भी किया है। इन दिनों बढ़ती उम्र के चलते सेवाराम यात्री अवस्थ चल रहे थे। शुक्रवार तड़के चार बजे उनका गाजियाबाद में निधन हो गया। उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है।

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