गाजियाबाद कोर्ट परिसर तक कैसे आया तेंदुआ, डीएम ने बताई कहानी

गाजियाबाद। जिला कोर्ट से रेस्क्यू किए गए तेंदुए को लेकर गुरुवार को वन विभाग की टीम शिवालिक रेंज पहुंची और उसे वहां वन क्षेत्र में छोड़ दिया गया। सीसीटीवी फुटेज से पता चला है कि तेंदुआ कोर्ट परिसर में हमले से एक दिन पहले ही आ चुका था और करीब 14 घंटे बाद आक्रामक हुआ।

डीएम राकेश कुमार सिंह ने बताया कि वन विभाग की ओर से तेंदुए के रूट के बारे में जांच में पता लगा कि वह हापुड़ रोड इंग्राहम इंस्टिट्यूट से होते हुए राजनगर राजकुंज पहुंचा और फिर पुलिस कमिश्नर ऑफिस के सामने से निकलकर कोर्ट परिसर में घुसा। वहां लगे सीसीटीवी में सुबह 2:53 बजे उसकी फुटेज कैद हुई है। एक्सपर्ट का कहना है कि चूंकि रात में उसे कोई रास्ता नहीं मिला इसलिए वह परिसर की छत पर छिपा रहा। एक्सपर्ट ने ये भी बताया कि तेंदुआ जब किसी व्यक्ति को बैठे हुए देखता है तो वह उसे अपना शिकार समझता है। इसलिए उसने दिन में पॉलिश करने वाले को देखा और हमला कर दिया।

दो शॉट में हुआ था तेंदुआ बेहोश
वन विभाग की रेस्क्यू टीम को तेंदुए को बेहोश करने के लिए नशीले इंजेक्शन के दो शॉट मारने पड़े। टीम के सदस्यों का कहना था कि चूंकि शोर में तेंदुआ आसानी से बेहोश नहीं होता और इस दौरान कोर्ट परिसर में शोर हो रहा था इसलिए दो शॉट मारने पड़े तब जाकर वह बेहोश होकर गिरा और टीम ने जाल डालकर उसे दबोच लिया। जिला कोर्ट परिसर में पकड़े गए तेंदुए को वन विभाग की रेस्क्यू टीम ने गुरुवार को उत्तराखंड के शिवालिक जंगल में छोड़ दिया।

जिला वन अधिकारी मनीष सिंह ने बताया कि जिस समय इस तेंदुए को जंगल में छोड़ा वह पूरी तरह स्वस्थ था और उसे कई घंटे की निगरानी के बाद ही उसे आजाद किया गया। वहीं, इस घटना के बाद वन विभाग और प्रशासन गंभीर हो गया है। अभी तक तेंदुआ या अन्य कोई खतरनाक जीव के शहरी क्षेत्र में आने पर मेरठ स्थित रेस्क्यू टीम आकर कार्रवाई करती है। बुधवार को जिस प्रकार से करीब 6 घंटे तक तेंदुए का आतंक रहा और वन विभाग की रेस्क्यू टीम करीब 4 घंटे बाद मौके पर पहुंची इसको लेकर जनपद स्तर पर भी रेस्क्यू की टीम बनाने की तैयारी है।

हर किसी ने छोड़ दी थी जिंदा बचने की उम्मीद
जनपद न्यायालय परिसर में तेंदुए के हमले में घायल होकर कंबाइंड अस्पताल पहुंचे लोगों की आंखों में घंटों तक मौत का मंजर घूम रहा था। घायलों ने बताया कि तेंदुए को देखते ही उन्हें लगा कि मौत नजदीक आ गई है और अब उनका बचना लगभग नामुमकिन ही है। तेंदुए जब उन पर हमला किया तो वे भाग भी नहीं सके और केवल ऊपर वाले को ही याद किया।

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