अगर पति कई पत्नियां रखे, तो औरत को भी यही हक मिले: जावेद अख्तर

नई दिल्ली। मशहूर शायर, गीतकार और फिल्म पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने मुस्लिम पर्सनल लॉ को सरासर गलत ठहराया है। जावेद अख्तर ने कहा, ‘अगर मुसलमान पतियों को एक साथ 4 शादियां करने का हक जायज है तो फिर महिलाओं को भी एक कई पतियों को रखने का हक मिलना चाहिए।

दैनिक भास्कर को दिए गए एक इंटरव्यू में जावेद अख्तर ने कहा, ‘कॉमन सिविल कोड का मतलब केवल ये नहीं है कि सभी समुदायों के लिए एक कानून हो बल्कि इसका मतलब औरतों और मर्दों के बीच बराबरी भी है। दोनों के लिए एक ही मापदंड होना चाहिए।’ जावेद अख्तर ने मुस्लिम पर्सनल लॉ को आड़े हाथों लेते हुए कहा-“मुस्लिम पर्सनल लॉ में एक से ज्यादा बीवी रखने की इजाजत है, जो समानता के खिलाफ है। अगर पति कई पत्नियां रख सकता है तो फिर औरत को भी यही हक मिलना चाहिए। अख्तर ने दो टूक कहा कि एक से ज्यादा शादी करना हमारे कानून के खिलाफ है। अगर कोई अपनी रिवायतें बरकरार रखना चाहे, तो रखे, लेकिन संविधान से कोई समझौता बर्दाश्त नहीं होगा।”

जावेद अख्तर सवालिया अंदाज में कहते हैं- ‘मैं ये जानना चाहता हूं कि जो सियासतदान कॉमन सिविल कोड की बात कर रहे हैं, क्या वे अपनी बहन-बेटियों को संपत्ति में बराबरी का हिस्सा देते हैं? सबसे पहले कॉमन सिविल कोड का ड्राफ्ट आना चाहिए। भारत जैसे बड़े और विविधता वाले देश में, क्या एक कानून हो सकता है? ये भी बहस का मौजूं है। अगर किसी के पर्सनल लॉ हैं तो रहें, लेकिन पर्सनल लॉ और संविधान के बीच में अगर चुनना होगा, तो मैं संविधान को आगे रखूंगा।

जावेद अख्तर ने कहा, ‘आज देश की समस्या ये है कि देश को सरकार और सरकार को देश माना जाने लगा है। सरकार तो आती-जाती रहती है, मगर देश तो हमेशा रहेगा।’ अख्तर ने कहा, ‘अगर कोई सरकार का विरोध करता है, तो उसे देशद्रोही करार दिया जाता है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘देश का मिजाज बहुत पहले से ही लोकतांत्रिक रहा है। हजारों साल के देश के जनमानस का मिजाज उदार रहा है। वो कभी कट्टरवादी नहीं रहा है। आज जिस तरह से कट्टरता को बढ़ावा दिया जा रहा है, वो हिंदुस्तान का मिजाज नहीं है।’

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