कोरोना महामारी से दूसरी बीमारियों के इलाज की व्यवस्था चरमरा गई है। इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डाक्टरों द्वारा कोरोना के पहले और कोरोना के बाद की परिस्थितियों पर किए गए तुलनात्मक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि ओपीडी में 89.2 फीसद कम मरीज देखे गए।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना महामारी से दूसरी बीमारियों के इलाज की व्यवस्था चरमरा गई है। इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डाक्टरों द्वारा कोरोना के पहले और कोरोना के बाद की परिस्थितियों पर किए गए तुलनात्मक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि ओपीडी में 89.2 फीसद कम मरीज देखे गए। वहीं सर्जरी भी 80.75 फीसद कम हो गई है। कोरोना मरीजों के दबाव के कारण दूसरी बीमारियों के इलाज की उपेक्षा हुई है।
डाक्टर कहते हैं कि अधिक देर तक इलाज व सर्जरी को टालना खतरनाक हो सकता है। अस्पतालों में गंभीर बीमारियों के साथ मरीज इलाज के लिए अधिक पहुंच रहे हैं। अपोलो अस्पताल के डाक्टरों ने दो वर्षों में ओपीडी में इलाज कराने वाले पांच लाख 99 हजार 281 मरीजों व अस्पताल में भर्ती 77,956 मरीजों पर अध्ययन किया। जिसमें कोरोना की महामारी शुरू होने से पहले और महामारी के दौरान इलाज कराने वाले मरीज शामिल हैं। इस अध्ययन में पाया गया कि नए व पुराने मरीजों को मिलाकर 57.65 फीसद कम मरीज इलाज के लिए पहुंचे।
श्वास रोग विभाग में बढ़े 314.04 फीसद मरीज
अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डा. अनुपम सिब्बल ने कहा कि श्वास रोग विभाग में भर्ती मरीजों की संख्या पहले की तुलना में 314.04 फीसद बढ़ गई। इसका कारण कोरोना है। मोटापा कम करने की सर्जरी 87.5 फीसद, आंखों की बीमारियों की सर्जरी 65.45 फीसद व जनरल सर्जरी 32.28 फीसद कम हुई। हालांकि, अत्यंत गंभीर मामलों में आपातकालीन सर्जरी कम प्रभावित रही।
कोरोना से बचाव के उपायों के साथ लिवर, किडनी प्रत्यारोपण व कैंसर के मरीजों की सर्जरी की गई लेकिन पहले की तुलना में यह भी कम रही। अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. राजू वैश्य ने कहा कि अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के बीच कोरोना के 3,746 मरीज भर्ती किए गए, जो कुल भर्ती मरीजों का 12.09 फीसद है। दूसरी बीमारियों के मरीजों को इलाज में देरी नहीं करनी चाहिए।
आकाश अस्पताल के प्रबंध निदेशक डा. आशीष चौधरी ने कहा कि सर्जरी में अधिक देर करने से बीमारी गंभीर होती है। गंभीर बीमारियों के साथ कई मरीज सर्जरी के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसी स्थिति में सर्जरी में जोखिम अधिक होता है। अब ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ने के बावजूद कई अस्पताल रूटीन सर्जरी कम होने की बात कह रहे हैं। साभार-दैनिक जागरण
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