कोरोना वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञ इनके जवाब देकर लोगों की समस्या का समाधान भी कर रहे हैं। वैक्सीन की कमी को देखते हुए सरकार भी हर संभव प्रयास करने में जुटी है।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। भारत में कोरोना की रोकथाम के लिए वैक्सीनेशन में तेजी लाई जा रही है। लेकिन कुछ राज्यों में वैक्सीन की कमी भी साफतौर पर दिखाई दे रही है। इसके बावजूद वैक्सीन की उपलब्धता के लिए हर संभव प्रयास भी किए जा रहे हैं। रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-वी भारत में आ चुकी है और जल्द ही बाजार में इसकी आमद भी शुरू हो जाएगी। इसके अलावा आने वाले कुछ समय में भारत में दूसरी वैक्सीन भी आ सकती हैं। इससे न सिर्फ वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ जाएगी बल्कि लोगों के पास वैक्सीन लगवाने को लेकर विकल्प भी मौजूद हो जाएंगे। अब वैक्सीनेशन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करते समय स्पूतनिक-वी का विकल्प भी दिखाई देने लगा है। ऐसे में लोगों के मन में एक सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या दो अलग-अलग वैक्सीन की डोज ली जा सकती हैं। क्या ये लेना सही होगा।
इस शंका को दूर करते हुए डॉक्टर जुगल किशोर ने बताया कि यदि किसी ने वैक्सीन की एक डोज भी ली है तो उसको घबराने की जरूरत नहीं है। इसका असर छह माह तक रह सकता है और सिंगल डोज भी व्यक्ति को लंबा प्रोटेक्शन दे सकती है। उनके मुताबिक पहली डोज के बाद कोई भी व्यक्ति छह माह तक दूसरी डोज ले सकता है। वहीं, कोरोना संक्रमण से उबरने के 3 माह बाद व्यक्ति इसकी वैक्सीन को लगवा सकता है।
सरकार ने दो खुराक के बीच जो अंतराल बढ़ाया है वो इसलिए भी सही है क्योंकि इससे वैक्सीन की कमी को दूर किया जा सकेगा और इससे वैक्सीन की कारगरता भी बढ़ जाती है। इस फैसले के बाद अधिक लोगों को वैक्सीनेट करना भी संभव है। आपको बता दें कि स्पूतनिक-वी की फिलहाल दुनियाभर में सिंगल डोज ही दी जा रही है। लेकिन डॉक्टर जुगल किशोर का मानना है कि आने वाले दिनों में इसकी भी दूसरी डोज देने की संभावना बन सकती है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि फाइजर कंपनी की वैक्सीन की भी अब डबल डोज दी जा रही हैं। साभार-दैनिक जागरण
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