पंजाब में उपज से 20 लाख मिट्रिक टन अधिक खरीदा गया धान, दूसरे राज्यों से सस्ते में धान लाकर बेचा गया या फिर राइस मिलों में पिछले साल के रखे धान की दोबारा हुई खरीद, इसकी जांच करने की तैयारी में सरकार.
इस साल अब तक सरकार ने देश भर से 673.53 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद (Paddy Procurement) कर ली है. लेकिन इसमें से अकेले पंजाब (Punjab) की हिस्सेदारी 202.82 लाख मीट्रिक टन है, जो कि कुल खरीद का 30.11 प्रतिशत है. जबकि राज्य में राज्य में धान की कुल पैदावार 1.82 करोड़ टन ही हुई है. यानी उत्पादन से करीब 20 लाख टन ज्यादा धान सरकार को बेच दिया गया. सवाल ये उठता है कि जब पैदावार कम हुई तो खरीद इतनी कैसे हो गई. क्या यहां दूसरे राज्यों से सस्ते में धान लाकर बेचा गया? या फिर राइस मिलों में पिछले साल के रखे धान की दोबारा खरीद कर दी गई. या फिर माजरा कुछ और है? केंद्र सरकार ने इसकी जांच करवाने की तैयारी में है.
सरकार को कितनी अधिक रकम खर्च करनी पड़ी
पंजाब के 14,89,986 किसानों ने इस साल 202.82 लाख मिट्रिक टन धान बेचकर 38,284.86 करोड़ रुपये कमाए हैं. जबकि पिछले साल 11,25,238 किसानों को एमएसपी (MSP) के रूप में 29,787.56 करोड़ रुपये मिले थे. यानी पिछले साल के मुकाबले इस छोटे से सूबे में धान खरीद पर सरकार को 8497.3 करोड़ रुपये अधिक खर्च करने पड़े.
क्या होगी जांच
इस बार खरीदे गए धान की एजिंग ( पुरानेपन ) की जांच कराई जा सकती है. आंध्र प्रदेश के कुछ जिलों में भी एजिंग जांच कराई जा रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक खाद्य व सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के सचिव सुधांशु पांडेय ने आशंका जताई है कि कहीं राइस मिलों के रास्ते पुराना धान तो दोबारा नहीं बेच दिया गया. एजिंग जांच से धान पुराना होने का पता लग सकता है. यह भी हो सकता है कि नए कृषि कानून की वजह से यहां दूसरे राज्यों के किसानों ने आकर धान बेचा हो.
क्या है खरीद की प्रक्रिया
अभी तक खरीद की जो प्रक्रिया है उसके तहत किसानों को जमीन का ब्यौरा देते हुए रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है. इसके हिसाब से निर्धारण होता है कि किस किसान से कितना धान खरीदा जाएगा. लेकिन पंजाब ऐसा राज्य है जहां किसानों की जमीनों का ब्योरा खरीद पोर्टल से नहीं जुड़ा है. बाकी राज्यों में किसानों की जमीन का ब्यौरा उनकी उपज की खरीद के रजिस्ट्रेशन के साथ जुड़ जाता है.
पिछले साल के मुकाबले 40 लाख मिट्रिक टन अधिक खरीद
जैसे हरियाणा में मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल है. जिसमें किसी फसल की बुवाई की जानकारी अपलोड करने के बाद पटवारी उसकी पुष्टि करता है. फिर उस बुवाई के हिसाब से किसान की बिक्री का कोटा तय होता है. बता दें कि पंजाब में खरीफ मार्केटिंग सीजन (KMS) 2019-20 में कुल 162.33 लाख मिट्रिक टन ही धान खरीदा गया था. इसलिए भी सवाल उठ रहा है कि इस साल आखिर पिछले साल के मुकाबले 40 लाख मिट्रिक टन अधिक खरीद कैसे हो गई.साभार-टी वी 9
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