ओडिशा में डॉक्टर ने खोला ‘एक रुपया’ क्लीनिक, गरीबों का सिर्फ एक रुपये में हो सकता है इलाज

ओडिशा के एक डॉक्टर शंकर रामचंदानी ने गरीबों के इलाज लिए ‘एक रुपया’ क्लीनिक खोला है. इसमें मरीज से इलाज के लिए सिर्फ एक रुपया लिया जाता है. रामचंदानी का कहना है कि वे एक रुपया भी इसलिए लेते हैं ताकि मरीज को यह महसूस नहीं हो कि वह फ्री में इलाज करवा रहा है.

ओडिशा के संबलपुर जिले में एक डॉक्टर ने गरीब और वंचित लोगों का इलाज करने के लिए ‘एक रुपया’ क्लीनिक (‘One Rupee’ clinic) खोला है. वीर सुरेन्द्र साईं इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (VIMSAR) के मेडिसिन डिपार्टमेंट में सहायक प्रोफेसर शंकर रामचंदानी ने बुरला कस्बे में यह क्लीनिक खोला है, जहां पर मरीजों को इलाज के लिए सिर्फ एक रुपया देना पड़ेगा.

रामचंदानी ने कहा कि लंब समय से उनकी इच्छा थी कि गरीबों और वंचितों को निशुल्क इलाज मुहैया कराया जाए. यह क्लीनिक उसी इच्छा का हिस्सा है. रामचंदानी (38) व ने कहा कि”मैं एक सीनियर रेजीडेंट के रूप में VIMSAR में सेवा दे रहा था और सीनियर रेजीडेंट्स को निजी प्रैक्टिस की अनुमति नहीं है. इसलिए मैं ‘एक रुपया’ क्लीनिक शुरू नहीं कर सका. हाल ही मैं सहायक प्रोफेसर के रूप में प्रमोट हुआ और सहायक प्रोफेसर के रूप में मुझे अपनी ड्यूटी के घंटों के बाद प्राइवेट प्रैक्टिस करने के लिए अनुमति है. इसलिए मैंने अब किराए के मकान में क्लीनिक शुरू किया है. ”

लोगों को न लगे कि फ्री में इलाज करा रहे, इसलिए ले रहे एक रुपया फीस
एक रुपए फीस लेने के बारे में रामचंदानी ने कहा कि ” मैं गरीबों और वंचित लोगों से एक रुपया लेता हूं क्योंकि मैं नहीं चाहता कि वे महसूस करें कि वे मुफ्त में सेवा का लाभ ले रहे हैं. उन्हें यह लगना चाहिए कि इलाज के लिए कुछ पैसे दिए हैं. ”

रामचंदानी ने कहा कि सैकड़ों लोग नियमित रूप से VIMSAR की ओपीडी में आते हैं और डॉक्टरों की सलाह लेने के लिए मरीजों की लंबी लाइन लगी रहती है. इनमें बुजुर्गों से लेकर विकलांग लोग भी होते हैं. अब उन्हें घंटों खड़े रहने की आवश्यकता नहीं होगी और वे ‘एक रुपया’ क्लीनिक में आकर दिखा सकेंगे.

पहले भी रामचंदानी के काम की हुई थी तारीफ
रामचंदानी की पत्नी सिखा रामचंदानी भी एक डेंटिस्ट हैं और उनकी मदद कर रही हैं. इस क्लीनिक का शुक्रवार को उद्घाटन किया गया था और पहले दिन 33 मरीज क्लीनिक में आए थे. रामचंदानी 2019 में तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने एक कुष्ठ रोगी को अपनी गोद में उठाकर उसके घर तक छोड़ा था. पिछले साल अक्टूबर में भी वे कोरोना महामारी में एक कोविड-19 पेंशेट को अपनी कार से हॉस्पिटल लेकर पहुंचे थे. इस पर भी उनकी काफी तारीफ की गई थी.साभार-एबीपी न्यूज़

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