सार्वजनिक शौचालयों में जाने से पहले उतारने होंगे जूते-चप्पल, नगर निगम का नया फरमान

गाज़ियाबाद नगर निगम द्वारा संचालित सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों में जाने से पहले आपको अपने जूते-चप्पल दहलीज पर उतारने होंगे। नगर निगम ने शौचालयों को साफ-सुथरा रखने के लिए यह अनोखी व्यवस्था की है। प्रत्येक शौचालयों की दहलीज पर पांच जोड़ी चप्पलें रखवाई जा रही हैं। जिन्हें पहनकर ही लोग शौच के लिए अंदर जाएंगे। निगम अधिकारियों का मानना है कि इस व्यवस्था से शौचालय का फर्श साफ रहेगा। उस पर बार-बार झाड़ू और पोंछा लगाने की जरूरत नहीं होगी। स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 में शौचालयों की सफाई के नंबर बटोरने के लिए यह प्रयोग किया जा रहा है।

निगम अधिकारियों के अनुसार लोग जब शौचालयों में जाते हैं, जो उनके जूते-चप्पलों में लगी मिट्टी व कीचड़ फर्श पर लग जाती है। उससे फर्श गंदा होता है। ऐसे में पूरे दिन शौचालयों को साफ-सुथरा रख पाना काफी मुश्किल हो रहा था। स्वच्छ सर्वेक्षण की तैयारियों के दौरान यह बात सामने आने पर नगर आयुक्त ने इस समस्या का समाधान करने की जिम्मेदारी स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारी को सौंपी थी।

काफी मंथन के बाद उन्होंने पाया कि शौचालय में शौच के लिए आ रहे लोगों के जूते-चप्पल बाहर उतरवा दिए जाएं तो समस्या को खत्म किया जा सकता है। यहां बात आई कि लोग शौच के लिए बिना जूते-चप्पल के कैसे अंदर जाएंगे? इस पर सुझाव दिया गया कि निगम की तरफ से शौचालय में चप्पलें रखवा दी जाएं। इस पर नगर आयुक्त की सहमति मिलते ही चप्पलें रखवाने का सिलसिला शुरू कर दिया गया है।

निगम में स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारी अरुण कुमार मिश्र ने बताया कि नगर निगम की सीमा में 87 सार्वजनिक शौचालय, 72 सामुदायिक शौचालय और तीन पिंक शौचालय हैं। इन सभी में चप्पलें रखवाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि केयरटेकर को निर्देश दे दिया गया है कि शौचालयों में आने वालों के जूते-चप्पल हर हाल में उतरवाए जाएं। विशेष परिस्थिति में छूट दी जा सकती है। आने वालों को कहा जाए कि वह शौचालय की दहलीज पर रखी चप्पलें पहन कर अंदर जाएं। यह चप्पलें साफ होंगी, जिस कारण शौचालय का फर्श गंदा नहीं होगा। शौचालयों में जाते वक्त लोगों के जूते-चप्पल में लगी मिट्टी और कीचड़ से फर्श गंदा हो जाता है। ऐसे में शौचालयों को साफ रखना मुश्किल हो जाता है। इस कारण से लोगों से जूते-चप्पल उतरवाने और उन्हें शौचालय के अंदर चप्पलें मुहैया कराने का फैसला लिया गया।

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