गाज़ियाबाद। भारतीय जन-मानस में गंगा नदी केवल सबसे अधिक पवित्र और नश्वर जीवों का शुद्धीकरण करने वाली नदी ही नहीं बल्कि जीती-जागती देवी ‘‘माँ गंगा’’ मानी गई है। गंगा नदी की जल गुणवत्ता को प्राचीन काल से इसकी जीवन प्रदायिनी और चिकित्सा करने की गुणवत्ता के कारण मान्यता दी गई है। गंगा को स्वच्छ रखना सभी का कर्तव्य ही नहीं बल्कि कटिबद्धता भी है। इसी प्रयास में भारत सरकार ने गंगा संरक्षण हेतु नमामि गंगे परियोजना लागू कर गंगा के निर्मल और अविरल प्रवाह बनाये रखने पर बल दिया है।
गंगा की निर्मलता के प्रयास में 25,563 करोड़ रुपये की लागत से गंगा पर 261 परियोजनाएं सीवरेज इन्फ्रास्ट्रक्चर, माड्युलर एसटीपीएस, जैविक उपचार, ग्रामीण स्वच्छता, औद्योगिक प्रदूषण में कमी, घाट और मोक्षधामों का विकास, नदी सतह सफाई, नदी तट विकास, घाट सफाई, जैवविविधता संरक्षण, वनीकरण, रिसर्च एण्ड प्रोजेक्ट डेवेलपमेंट और गंगा टास्क फोर्स लागू करते हुए क्रियान्वयन किया जा रहा है। करीब 70 शहरों में सीवेज से संबंधित 136 परियोजनाएं मंजूर की गई है, परियोजनाओं में अतिरिक्त शोधन क्षमता के प्लांट लगाए जा रहे हैं।
गंगा के किनारे पांच बेसिन राज्यों के गांवों में 1,34,000 हे0 में वृक्षारोपण किये गये हैं। गंगा को निर्मल बनाने के लिए गंगा के किनारे बसे गांवों को खुले में शौच से मुक्त किया गया है। संचालित परियोजनाओं में कई अधिकतम पूर्ण व कुछ परियोजनाएं शीघ्र ही पूरी हो जायेंगी जिससे गंगा निर्मल होंगी। गंगा की अविरलता बनाए रखने के लिए गंगा में न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह अधिसूचित कर दिया गया है।
इससे गंगा में पूरे वर्ष एक न्यूनतम प्रवाह बना रहेगा। गंगा की अविरलता और निर्मलता बनाये रखने के लिए समाज के सभी वर्गों को इस मुहिम से जोड़ा गया है और इसमें हर वर्ग के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। गंगा को स्वच्छ बनाये रखने के लिए क्लीन गंगा फण्ड ट्रस्ट बनाया गया है, इसमें समाज के हर वर्ग अपना योगदान कर रहे हैं।
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