खुशखबरी : गाजियाबाद, नोएडा और दिल्ली के लोगों को मिल सकती है भारी-भरकम चालान से राहत

नई दिल्ली। दिल्ली के साथ इससे सटे राज्यों राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में एक सितंबर से नया मोटर व्हीकल एक्ट 2019 लागू होने के बाद भारी-भरकम चालान ने लोगों के साथ इन राज्यों की सरकारों को भी परेशान करके रख दिया है। स्थिति यह है कि चालान कम करने को लेकर सिर्फ दिल्ली-एनसीआर के ही 34 संगठन 17 सितंबर को संसद का घेराव करेंगे। अगर मांगें नहीं मानी गईं तो 19 सितंबर को चक्का जाम करने की भी तैयारी है। इस बीच जैसा की उम्मीद की जा रही है कि अगर दिल्ली और यूपी में चालान कम हुए तो यह एक बड़ी राहत होगी। वैसे हरियाणा में अगले दो महीने में विधानसभा चुनाव होने हैें, लेकिन वहां की सरकार इस तरह का कोई इशारा नहीं किया है।

वहीं, 11 सितंबर (बुधवार) को दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने चालान में कमी का इशारा किया तो अब गुजरात और उत्तराखंड के बाद उत्तर प्रदेश में भी नए मोटर व्हिकल एक्ट, 2019 के तहत निर्धारित जुर्माने की राशि को कम करने पर विचार हो रहा है। ऐसा हुआ तो जल्द ही दिल्ली और यूपी के दो जिले गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद के करोड़ों लोगों को राहत मिलेगा। दिल्ली में ही 50 लाख लोगों को राहत मिलने की बात है।

वहीं, बताया जा रहा है कि योगी सरकार जुर्माने में संशोधन की तैयारी में है, क्योंकि भाजपा शासित राज्य गुजरात में पहले ही चालान में 90 फीसद तक राहत प्रदान की जा चुकी है। यह भी गौर करने की बात है कि जून, 2019 में ही यूपी की भजापा सरकार मोटर यान नियमवाली 1988 की धारा 200 को संशोधित कर चुकी है। इन नियमों के तहत बगैर हेलमेट, बिना नंबर प्लेट के साथ बिना ड्राइविंग लाइसेंस के वाहन चलाने पर चालान में इजाफा किया गया था। ऐसे में संभव है वह भारी-भरकम राशि से जनता को राहत दिलाए।

इस मामले पर परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अशोक कटारिया ने आइएएनस से कह चुके हैं- ‘सरकार जनता को राहत देने के लिए काम कर रही है। यातायात अपराधों पर लगने वाले जुर्माने की दरों के पुनर्निर्धारण पर विचार किया जा रहा है. जो फैसला जनता के हित में होगा, उसी पर अमल किया जाएगा।’

बताया जा रहा है कि सूबे में शहर से लगे गांवों में ट्रैक्टरों के चालान काटे जाने से किसानों में भी नाराजगी पैदा हो रही है। यहां पर यह बता दें कि केंद्रीय एक्ट में राज्य सरकारों को शमनीय अपराधों के लिए केंद्र द्वारा निर्धारित जुर्माने की दर को अपने स्तर पर घटाने-बढ़ाने का अधिकार है। इसी के तहत गुजरात अपने राज्य में लोगों को राहत दे चुका है।

 

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