मुकेश खन्ना ने नसीरुद्दीन शाह की पत्नी को लताड़ा, कहा- अपने नाम से पाठक हटा दीजिए

मुंबई। बॉलीवुड अभिनेता मुकेश खन्ना ने नसीरुद्दीन शाह की पत्नी रतना पाठक शाह को खरी खोटी सुनाई हैं। मुकेश खन्ना ने वीडियो जारी कर रतना पाठक शाह को हिंदू त्योहारों पर विवादित बयान देने के लिए लताड़ा है।

मुकेश खन्ना ने अपने यूट्यूब चैनल पर वीडियाे जारी करते हुए कहा, नसीरुद्दीन शाह…एक बेहतरीन एक्टर…मैं कह सकता हूं… एक बेहतरीन इंसान हैं। अपने काम में व्यस्त रहते हैं। लेकिन पता नहीं कभी–कभी धर्म या क्या बीच में आ जाता है जिसकी वजह से वह गैरजिम्मेदाराना बयान दे देते हैं। ऐसे बयान दे देते हैं जो कभी–कभी खान बद्रर्स के मुंह से भी निकल जाते हैं लेकिन जो बात नसीरुद्दीन शाह कहते हैं, मैं समझ सकता हूं। उनका धर्म है। लेकिन जो उनकी पत्नी कहती है मैं उसे उनका धर्म नहीं मान सकता। क्योंकि उन्होंने अपने नाम के आगे रतना पाठक शाह रखा है। यानी उन्होंने पाठक को जिन्दा रखा है और पाठक को जिंदा रखने के बावजूद वह ऐसी बचकानी बात कह गई हैं।

मुकेश खन्ना ने कहा कि आप क्या समझती हैं, आप पढ़ी–लिखी हैं? आपको पता है, पढ़ी–लिखीं औरतें छोड़िए, गांव की औरतें छोड़िए, अनपढ़ औरतें छोड़िए, बड़े–बड़े घरों की औरतें तक करवाचौथ रखने में गर्व महसूस करती हैं। इस खूबसूरत त्योहार को आप अंधविश्वास कहती हो! चलिए अंधविश्वास ही सही। लेकिन यदि पत्नी अंधविश्वास में रहकर भी अपनी पति के सुख के लिए, अपने पति की जिंदगी के लिए अगर एक दिन का व्रत रखती है और चंद्रमा को देखने के बाद अपने व्रत को पूर्ण करती है तो इससे ज्यादा खूबसूरत बात और क्या हो सकती है?

अभिनेता आगे कहते हैं, “ये पढ़े लिखे लोग अपने आप को इतना पढ़ा–लिखा समझते हैं कि राष्ट्र विरोधी और धर्म विरोधी बातें करते हैं। क्या मैं ये मान लूं की धर्म आपके ऊपर हावी हो गया है, जिसको आपने शादी में अपनाया है? यदि ऐसा है तो आप अपने नाम के आगे पाठक क्यों लिखती हैं? हटा दीजिए न इस शब्द को।”

बता दें कि रतना पाठक शाह से जब एक इंटरव्यू के दौरान पूछा गया था कि क्या वह अपने पति की सलामती के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हैं। तो इसके जवाब में उन्होंने कहा था- ‘मैं क्या पागल हूं, जो ऐसे व्रत करूंगी? ये आश्चर्य है कि पढ़ी लिखी महिलाएं भी पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। भारत में विधवा होना एक भयानक स्थिति है, महिलाएं इसी डर से करवाचौथ का व्रत करती हैं। हैरान करने वाली बात है कि हम 21वीं सदी में भी इस तरह की बातें करते हैं’।

Exit mobile version