सेना में कोई दुकान, रोजगार एजेंसी नहीं हैं, अग्निपथ योजना पसंद नहीं तो सेना में न जाएँ: गाजियाबाद सासंद

नागपुर/गाजियाबाद। ‘अग्निपथ’ योजना को लेकर हुई हिंसा के बीच गाजियाबाद सांसद, केंद्रीय मंत्री एवं सेना के पूर्व प्रमुख जनरल वी. के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने प्रदर्शनकारियों की आलोचना करते हुए रविवार को कहा कि अगर उन्हें सशस्त्र बलों में भर्ती की नई नीति पसंद नहीं है तो वे सशस्त्र बलों में शामिल न हों और इसके लिए कोई बाध्यता नहीं है।

महाराष्ट्र के नागपुर शहर में एक कार्यक्रम के इतर सिंह ने पत्रकारों से कहा कि भारतीय सेना जबरदस्ती सैनिकों की भर्ती नहीं करती है और इच्छुक आकांक्षी अपनी मर्जी से इसमें शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘सेना में शामिल होना स्वैच्छिक है और यह कोई मजबूरी नहीं है। अगर कोई आकांक्षी शामिल होना चाहता है, तो वह अपनी इच्छा के अनुसार शामिल हो सकता है, हम सैनिकों की जबरदस्ती भर्ती नहीं करते हैं। लेकिन अगर आपको यह भर्ती योजना (अग्निपथ) पसंद नहीं है तो इसमें (शामिल होने) के लिए नहीं आएं। आपको आने के लिए कौन कह रहा है?’

‘अग्निपथ’ योजना के खिलाफ कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा के बयान को लेकर विपक्षी दल पर निशाना साधते हुए सिंह ने आरोप लगाया कि सबसे पुरानी पार्टी केंद्र सरकार के सबसे बेहतर काम में भी दोष ढूंढ रही है क्योंकि यह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा राहुल गांधी से की गई पूछताछ से नाराज है।

उन्होंने कांग्रेस पर युवाओं को गुमराह करने और देश में अशांति पैदा करने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा ने दिन में कहा कि अग्निपथ योजना युवाओं और सेना के लिए विनाशकारी साबित होगी।

प्रियंका के इस बयान को लेकर पूछे गये एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा, ‘‘कांग्रेस नाराज है क्योंकि ईडी राहुल गांधी से पूछताछ कर रही है। इसलिए, पार्टी सरकार के सबसे अच्छे काम में भी दोष निकाल रही है।’

उन्होंने कहा, ‘विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस, युवाओं को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। विपक्ष के पास केवल एक ही काम बचा है, वह है किसी भी सरकारी योजना की आलोचना करना और उसे रोकना। वे सरकार को बदनाम करने के लिए देश में अशांति पैदा करना चाहते हैं।’

सिंह ने कहा कि ‘अग्निपथ’ योजना की अवधारणा की कल्पना 1999 के युद्ध के बाद करगिल समिति के गठन के समय की गई थी। उन्होंने कहा कि भारत के युवाओं और अन्य नागरिकों के लिए अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण की मांग पिछले 30 से 40 वर्षों से की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘अतीत में कहा जाता था कि प्रशिक्षण एनसीसी के माध्यम से दिया जा सकता है लेकिन सैन्य प्रशिक्षण की मांग हमेशा से थी।’

उन्होंने कहा कि सेना न तो रोजगार एजेंसी है और न ही कोई कंपनी या दुकान। उन्होंने कहा कि लोग देश की सेवा के लिए अपनी रुचि से सेना में शामिल होते हैं। मंगलवार को इस योजना का ऐलान करते हुए सरकार ने कहा था कि साढ़े 17 से 21 साल तक के युवाओं को चार साल के लिए सशस्त्रबलों में भर्ती किया जाएगा तथा बाद में उनमें से 25 फीसदी को नियमित सेवा पर रख लिया जाएगा। इस तरह भर्ती होने वाले युवक ‘अग्निवीर’ कहलायेंगे।

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