इस साल कड़ाके की ठंड का खतरा: WMO ने बताई वजह, IMD ने जारी किया अलर्ट

इस साल भारत में मौसम ने कई रिकॉर्ड तोड़े हैं। भीषण गर्मी और झमाझम बारिश ने कई राज्यों में तबाही मचाई, जिससे बाढ़ जैसी परिस्थितियां भी उत्पन्न हुईं। अब मौसम में एक और बड़ा बदलाव आने वाला है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और विश्व मौसम संगठन (WMO) ने चेतावनी दी है कि इस सर्दी में ठंड का प्रकोप और भी ज्यादा तीव्र हो सकता है।
ला नीना का बढ़ता असर
WMO के अनुसार, 2024 के अंत तक ला नीना (La Nina) का प्रभाव 60 प्रतिशत तक रहने की संभावना है। ला नीना एक प्राकृतिक जलवायु घटना है, जो प्रशांत महासागर की सतह के तापमान को कम कर देती है। इसके परिणामस्वरूप, उत्तरी गोलार्ध के कई हिस्सों में ठंड की तीव्रता और अवधि बढ़ जाती है। यह स्थिति खासकर उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड का कारण बन सकती है।
सितंबर-नवंबर 2024 के दौरान ला नीना का प्रभाव 55 प्रतिशत तक बने रहने की संभावना है, जबकि अक्तूबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच यह 60 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। इस वजह से, इस साल उत्तर भारत में सामान्य से अधिक ठंड पड़ने का अनुमान है। IMD ने भी ठंड की लंबी अवधि और तीव्रता का अलर्ट जारी किया है, जो आम लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
IMD ने नहीं की पुष्टि, पर अलर्ट जारी
हालांकि, भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि ला नीना की स्थिति से ठंड सामान्य से अधिक होगी या नहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि ला नीना और एल नीनो जैसी प्राकृतिक जलवायु घटनाओं का प्रभाव हर बार अलग होता है। यह उनकी तीव्रता, अवधि और वर्ष के समय पर निर्भर करता है। फिर भी, अलर्ट जारी किया गया है ताकि लोग ठंड के लिए पहले से तैयार हो सकें।
जलवायु परिवर्तन का दीर्घकालिक असर
भले ही अल्पकालिक ठंड ला नीना के प्रभाव से हो, लेकिन यह वैश्विक तापमान वृद्धि के दीर्घकालिक असर को नहीं कम कर सकती। WMO की महासचिव सेलेस्टे साउलो ने बताया कि 2020 से 2023 की शुरुआत तक, ला नीना के बावजूद, वैश्विक तापमान का स्तर पिछले 9 सालों में सबसे अधिक रहा है। ग्रीनहाउस गैसों के कारण वायुमंडल में गर्मी सोखने की क्षमता बढ़ गई है, जिससे वैश्विक तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है।
बदलते मौसम के पैटर्न और चुनौतियाँ
जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम के पैटर्न में अस्थिरता बढ़ गई है, जिससे गर्मी और ठंड दोनों की तीव्रता में वृद्धि हो रही है। भारत जैसे देश में, जहां मौसम की विविधता अधिक है, इस बदलाव का असर अधिक गंभीर रूप से देखा जा सकता है। इस साल की कड़ी ठंड न सिर्फ लोगों की दिनचर्या पर असर डालेगी, बल्कि खेती, स्वास्थ्य और ऊर्जा के क्षेत्रों में भी चुनौतियाँ खड़ी कर सकती है।
अंत में: ठंड की तैयारी ज़रूरी
इस साल सर्दियों में कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना है, लेकिन इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन के दीर्घकालिक प्रभाव भी स्पष्ट हैं। WMO और IMD की चेतावनी को गंभीरता से लेते हुए, लोगों को ठंड से निपटने के लिए पहले से तैयार रहना चाहिए। आगामी ठंड की चुनौती के बावजूद, हमें जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए भी ठोस कदम उठाने होंगे।
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