माफिया मुख्तार को फिर मिली उम्रकैद की सजा, फर्जी हस्ताक्षर करके लिया था शस्त्र लाइसेंस

वाराणसी। कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी को एमपी एमएलए कोर्ट ने बुधवार को उम्रकैद की सजा सुनाई है। मुख्तार ने फर्जी हस्ताक्षर करके शस्त्र लाइसेंस बनवाया था। उस पर कोर्ट ने दो लाख दो हजार रुपये का जुर्माना भी डाला है।

मुख्तार की यह दूसरी उम्र कैद की सजा है। वहीं, 17 महीने के अंदर उसे 8वीं सजा सुनाई गई है। बांदा जेल से मुख्तार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में जुड़ा और सजा के बाद मायूस हो गया। मंगलवार को उसने सुनवाई शुरू होने से पहले कम सजा की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने कल फैसला सुरक्षित रख लिया था। इंटरस्टेट गैंग 191 का सरगना मुख्तार अंसारी 25 अक्टूबर, 2005 से जेल में बंद है। उसके खिलाफ यूपी, दिल्ली, पंजाब में 65 मुकदमे दर्ज हैं। सुनवाई के दौरान प्रॉसिक्यूटर ऑफिसर उदय राज शुक्ल और एडीजीसी विनय कुमार सिंह ने दलील दी कि मुख्तार ने लंबे समय तक शस्त्र का उपयोग किया था। मुख्तार के खिलाफ कोर्ट में अब तक 10 गवाही हुई है। पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन और पूर्व डीजीपी देवराज नागर की गवाही को कोर्ट ने आधार माना और मुख्तार को दोषी पाया।

सीबीसीआईडी ने दाखिल की चार्जशीट
मुख्तार के खिलाफ 10 जून 1987 को दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर के जिला मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया था। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से उसने शस्त्र लाइसेंस लिया था। ​​​​​केस में ब्ठब्प्क् ने 4 दिसंबर 1990 को गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत 5 नामजद और अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।

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