दिल्ली अध्यादेश से जुड़ा विधेयक अगले सप्ताह संसद में पेश करेगी सरकार

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दिल्ली। दिल्ली के अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़ा केंद्र के अध्यादेश की जगह लेने वाला विधेयक लोकसभा में अगले हफ्ते पेश किया जाएगा। यह अध्यादेश दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संदर्भ में लाया गया था।

केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली (संशोधन) बिल पर सदन में चर्चा के दौरान दिल्ली अध्यादेश की वैधानिकता को चुनौती देने वाले प्रस्तावों पर भी चर्चा होगी। विपक्षी नेताओं अधीर रंजन चौधरी, सौगत रॉय और ए राजा, एनके प्रेमचंद्रन औ डीन कुरियाकोस ने चर्चा के लिए नोटिस दिया है।

विधेयक को लेकर क्या है विवाद
बता दें कि दिल्ली सरकार के अधिकारियों के तबादले और तैनाती का अधिकार एलजी के कार्यकारी नियंत्रण में था लेकिन 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में दिल्ली पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और जमीन के अलावा अन्य सेवाओं का अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार को दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हफ्ते बाद ही केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर अधिकारियों के तबादले का अधिकार वापस एलजी को सौंप दिया था।

क्या है समीकरण?
लोकसभा में एनडीए के पास बहुमत है। बहरहाल, भाजपा-नीत राजग और विपक्ष का इंडिया, दोनों गठबंधन आंकड़ों की दृष्टि से राज्यसभा में बराबरी की स्थिति में हैं। हालांकि सत्तारूढ़ गठबंधन उच्च सदन में अपने विधायी कार्यों को पारित कराने के लिए हमेशा गैर-राजग और गैर-इंडिया दलों का समर्थन हासिल करने में कामयाब रहा है। कुछ सदस्यों ने राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखकर दिल्ली सेवा मुद्दे पर विधेयक को गुरुवार को विधायी कामकाज में पूरक एजेंडे के रूप में पेश नहीं होने देने की मांग की है। इस विधेयक को सोमवार को लोकसभा में पेश किए जाने की उम्मीद है, लेकिन ऐसी अटकलें थीं कि इसे गुरुवार को राज्यसभा में लाया जा सकता है।

राज्यसभा में एनडीए के 101 सदस्य हैं, जबकि 26 दलों वाले इंडिया गठबंधन को 100 सांसदों का समर्थन हासिल है। किसी भी गठबंधन में नहीं शामिल दलों के 28 सदस्य हैं। पांच सदस्य नामित श्रेणी में हैं और तीन निर्दलीय हैं। किसी भी गठबंधन का हिस्सा न होने वाले दलों के 28 सदस्यों में से भारत राष्ट्र समिति के सात सदस्यों के विपक्षी खेमे के साथ मतदान करने की उम्मीद है। बीजद और वाईएसआर कांग्रेस के नौ-नौ सदस्य हैं और सत्तारूढ़ गठबंधन इस महत्वपूर्ण विधेयक के लिए उनके समर्थन की उम्मीद कर रहा है। उच्च सदन में बसपा, जद(एस) और तेदेपा के एक-एक सदस्य हैं और वे किस तरफ मतदान करेंगे, इस पर उत्सुकता से नजर रहेगी। आमतौर पर, नामित सदस्य सरकार का साथ देते हैं।

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