राजस्थान HC से मनु की प्रतिमा हटाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार

जयपुर। राजस्थान हाई कोर्ट से मनु की प्रतिमा हटाए जाने की मांग वाली अर्जी पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि राजस्थान हाई कोर्ट में यह मामला पहले ही लंबित है, ऐसे में हमारी ओर से सुनवाई करने का कोई मतलब नहीं बनता है।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश ने कहा कि हम इस मामले में सुनवाई नहीं कर सकते। यह केस तो पहले ही राजस्थान उच्च न्यायालय में लंबित है। बेंच ने याचियों से कहा कि आपको इस मामले में हाई कोर्ट का रुख करना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि मनु की प्रतिमा हाई कोर्ट में 1989 में चुपचाप ही लगा दी गई थी, जबकि उनका कोई कानून के मामले में योगदान नहीं है।

याचिका में कहा गया है कि उन्होंने देश में जाति व्यवस्था का प्रचार किया था। ऐसे में उनकी प्रतिमा अदालत में लगाने का कोई तुक नहीं बनता। याचिका में कहा गया है कि प्रतिमा लगाए जाने के बाद फुल कोर्ट मीटिंग हुई थी, लेकिन कोई फैसला नहीं हो सका था। उसके बाद से लंबा वक्त याचिका को हो गया है, लेकिन कोई फैसला उस पर नहीं हुआ है।

याचिका दाखिल करने वाले शख्स ने कहा कि मनु ने मुनस्मृति नाम के ग्रंथ की रचना की थी। यह ग्रंथ न्याय, उदारता, समानता के खिलाफ है। इसमें भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जो कहा गया है, उसका सीधा और खुला उल्लंघन होता है। अर्जी में कहा गया कि मनु स्मृति तो देश की महिलाओं समेत 75 फीसदी आबादी के खिलाफ है। यही नहीं तर्क दिया गया कि अदालत में मनु की प्रतिमा होने से देश की छवि खराब होती है। दूसरे देश ऐसे राज्य में निवेश क्यों करना चाहेंगे, जहां भेदभाव को बढ़ावा देने वाले लोगों का महिमामंडन किया जाता है। यही नहीं कहा गया कि प्रतिमा हटाने से हिंदू समाज को भी फायदा होगा।

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