मिल्कीपुर उपचुनाव: भाजपा व सपा के बीच सीधी टक्कर, प्रतिष्ठा दांव पर

मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने पत्ते खोलते हुए चंद्रभान पासवान को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। यह घोषणा भाजपा के केंद्रीय कार्यालय से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से की गई।
वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) पहले ही अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को मैदान में उतार चुकी है। कांग्रेस ने इस उपचुनाव से दूरी बनाते हुए किसी भी प्रत्याशी को नहीं उतारा है। अब यह सीट भाजपा और सपा के बीच सीधी लड़ाई का केंद्र बन गई है।
चुनाव की तारीख और महत्वपूर्ण आंकड़े
मिल्कीपुर सीट पर मतदान 5 फरवरी को होगा, और मतगणना 8 फरवरी को संपन्न होगी। नवंबर में हुए नौ विधानसभा उपचुनावों में सपा केवल दो सीटें ही जीत पाई थी, जिससे पार्टी को बड़ा झटका लगा था। कटेहरी सीट पर भी उसे हार का सामना करना पड़ा था।
इस सीट पर विधायक रहे लालजी वर्मा के सांसद बनने के बाद उपचुनाव आयोजित किया जा रहा है, जिसमें भाजपा ने पिछली बार जीत दर्ज की थी। अब कांग्रेस के चुनावी मैदान से हटने के बाद मिल्कीपुर की यह प्रतिष्ठित सीट दोनों दलों के लिए नाक का सवाल बन गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा की रणनीति
भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद कमान संभाल रखी है और पार्टी इस सीट को दोबारा जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। दूसरी ओर, सपा भी अपने गढ़ को बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है।
जातिगत समीकरण और मतदाता वर्ग
मिल्कीपुर सीट का जातिगत समीकरण चुनाव परिणाम को तय करने में अहम भूमिका निभाएगा।
दलित मतदाता: 1.2 लाख
यादव मतदाता: 55,000
मुस्लिम मतदाता: 30,000
ब्राह्मण मतदाता: 60,000
पासी मतदाता: 55,000
ठाकुर मतदाता: 25,000
अन्य पिछड़े वर्ग: 50,000
जो पार्टी इन मतदाताओं का भरोसा जीत पाएगी, उसे जीत की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी।
इतिहास और मौजूदा स्थिति
मिल्कीपुर सीट सपा का गढ़ मानी जाती है। 1991 से अब तक सपा ने इस सीट पर छह बार जीत हासिल की है। भाजपा केवल दो बार इस सीट पर जीत दर्ज कर पाई है, जबकि दो बार बसपा ने भी इस पर कब्जा किया है।
मिल्कीपुर का यह उपचुनाव केवल एक सीट का संघर्ष नहीं है, बल्कि प्रदेश की राजनीति की दिशा और दलों की प्रतिष्ठा के लिए बेहद अहम है। जातिगत समीकरण, क्षेत्रीय रणनीतियां और नेताओं का व्यक्तिगत प्रभाव इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। अब सभी की निगाहें 8 फरवरी को आने वाले नतीजों पर टिकी हैं।
Exit mobile version