दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: कौन मारेगा बाजी?

दिल्ली का राजनीतिक अखाड़ा इस बार फिर चर्चा का केंद्र बन चुका है। भाजपा, आम आदमी पार्टी (आप), और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला गर्माता जा रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल अपनी सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन भाजपा ने यहां प्रवेश वर्मा को उतारकर सीधा मुकाबला बना दिया है।
केजरीवाल बनाम भाजपा: सबसे बड़ी चुनौती
केजरीवाल ने 2013, 2015, और 2020 में इस सीट पर 53% से अधिक वोट पाकर लगातार जीत दर्ज की है। हालांकि, भाजपा को उम्मीद है कि इस बार हालात बदल सकते हैं। भाजपा नेता अमित मालवीय का कहना है कि “आखिरी दो सप्ताह में आप की बाजी पलट जाएगी।” भाजपा के तर्क यह भी हैं कि 2020 में केजरीवाल के वोट प्रतिशत में गिरावट आई थी, जो इस बार उनकी मुश्किलें बढ़ा सकता है।
दक्षिणी दिल्ली की बात करें, तो मुख्यमंत्री पद की प्रमुख दावेदार आतिशी मार्लेना के लिए हालात चुनौतीपूर्ण हैं। यहां भाजपा ने रमेश विधूड़ी को मैदान में उतारा है, जो तीन बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं। कांग्रेस ने भी यहां अलका लांबा को उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है।
आप की रणनीति: कोर वोट बैंक पर जोर
अरविंद केजरीवाल लगातार अपने कोर वोट बैंक को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। महिलाओं, अल्पसंख्यकों, और गरीब वर्ग के लिए नई घोषणाएं और पुराने वादों को दोहराना उनकी प्रमुख रणनीति है। हाल ही में उन्होंने आरडब्ल्यूए में सुरक्षा गार्ड की तैनाती और इसका खर्चा दिल्ली सरकार द्वारा उठाने का वादा किया। साथ ही महिलाओं को 2100 रुपये प्रतिमाह देने और जाट आरक्षण का मुद्दा उठाकर विभिन्न वर्गों को साधने की कोशिश की।
भाजपा का जमीनी खेल
भाजपा ने इस बार चुनावी मैदान में पहले से अधिक सक्रियता दिखाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झुग्गी-झोपड़ी के निवासियों को 1678 फ्लैट आवंटित करके निचले वर्ग को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है। इसके अलावा रोजगार मेले और महिलाओं के लिए नई घोषणाएं भाजपा की रणनीति का हिस्सा हैं। भाजपा सोशल मीडिया और एआई का भरपूर इस्तेमाल करके प्रचार अभियान को नई ऊंचाई देने की तैयारी में है।
कांग्रेस की वापसी की कोशिश
कांग्रेस ने संदीप दीक्षित को आक्रामक प्रचार की जिम्मेदारी दी है। हालांकि, पार्टी के अन्य बड़े चेहरे अब तक शांत हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि अल्पसंख्यकों, महिलाओं, और पुराने कांग्रेस समर्थकों का वोट उसे फायदा पहुंचा सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के दौर को याद कराते हुए कांग्रेस के नेता मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं।
छोटे दलों की भूमिका
दिल्ली चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम और मायावती की बसपा ने भी अपने प्रत्याशी उतारने की घोषणा की है। छोटे दलों का यह कदम बड़े दलों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
सोशल मीडिया का युद्ध
आम आदमी पार्टी, भाजपा, और कांग्रेस इस बार सोशल मीडिया पर जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं। मीम्स, वीडियो, और एआई आधारित प्रचार सामग्री तैयार की जा रही है। सोशल मीडिया विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार का चुनाव डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी बेहद रोमांचक होगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
राजनीतिक विश्लेषक सर्वेश कुमार के मुताबिक, “दिल्ली के 33-34 लाख झुग्गी निवासियों का बड़ा हिस्सा आम आदमी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है। 2020 में इन्हीं वोटों की बदौलत केजरीवाल ने जीत दर्ज की थी। लेकिन भाजपा और कांग्रेस की नई रणनीतियां इस बार आप के लिए चुनौती बन सकती हैं।”
दिल्ली का चुनावी संग्राम 2025 न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश देने वाला है। भाजपा, आप, और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है। सभी दल अपने-अपने वोट बैंक को साधने और नई रणनीतियों के साथ मैदान में उतर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इस बार किसे अपना नेता चुनती है।
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