टाइगर मच्छर पर बेअसर हो रहे कीटनाशक, रिसर्च में खुलासा

नई दिल्ली। डेंगू, चिकनगुनिया और जीका जैसी खतरनाक बीमारियों को फैलाने वाला मच्छर अब और घातक हो चुका है। जापान के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया है कि मच्छरों को मारने के लिए इस्तेमाल होने वाले घातक केमिकल टाइगर मच्छर पर बेअसर होने लगे हैं।

एशिया के अलग अलग हिस्सों में टाइगर मच्छर पर किए गए शोध में पता लगा है कि इस मच्छर ने पर्मेथ्रिन जैसे घातक कीटनाशकों के प्रति 1000 गुना तक प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है। इसको लेकर वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पिछले दो दशक में डेंगू के मामलों में 8 गुने से ज्यादा की वृद्धि देखी गई है। डब्लूएचओ ने डेंगू को दुनिया के 10 सबसे बड़े स्वास्थ्य खतरों की सूची में रखा है।

एशियन टाइगर मच्छर को एडीस एल्बोपिक्टस के नाम से भी जाना जाता है। मच्छर की ये नस्ल शहरी वातावरण के अनुकूल हो गई है। आमतौर पर मच्छर रात को ही काटते हैं.लेकिन एल्वा एल्बोपिक्टस मच्छर रात के अलावा दिन में भी काटता है। एक मामले में ये और भी विचित्र है।मच्छर लोगों के खून पीते हैं। इसकी पहली पसंद मनुष्य ही होते हैं लेकिन यदि किसी व्यक्ति का खून नहीं मिल रहा है तो जानवर का खून भी पी लेते हैं। इन्हें जंगल का मच्छर भी कहते हैं। इसका मूल दक्षिण पूर्व एशिया से हैं। अब इसका फैलाव यूरोपीय देशों के अलावा अमेरिका तक है।

भारत में इन बीमारियों का मुख्य कारक
डेंगूः भारत में आमतौर पर डेंगू एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होता है लेकिन एडीस एल्बोपिक्टस भी भारत में डेंगू का कारण बनता है। विशेष रूप से उत्तर पूर्वी स्टेट और रुरल एरिया में यह बीमारी फैलती है। इससे डेंगू का शॉक सिंड्रोम हो जाता है। इसमें ब्लीडिंग, मेटाबॉलिक एसीडॉसिस जैसे लक्षण दिखते हैं।

चिकनगुनियाः एडीज एजिप्टी की वजह से चिकनगुनिया बीमारी भी होती है। एडीस एल्बोपिक्टस से भी चिकनगुनिया हो जाता है हालांकि यह डेंगू की जितनी गंभीर नहीं होती है।इसमें जोड़ों में दर्द, बुखार, कमजोरी आना आम है।

वेस्ट नाइल बुखारः यह बीमारी भी एडीस एल्बोपिक्टस के कारण होती है। इसमें बुखार के साथ सिरदर्द, मसल्स पेन, उल्टी, रेशेज जैसे लक्षण दिखते हैं। यह बीमारी तक गंभीर हो जाती है, जब वेस्ट नाइल इंसेफेलाइटिस हो जाए. यह सीधे तौर पर ब्रेन को प्रभावित करता है। इसमें कंफ्यूज़न, थकावट, दौरे पड़ना, लोकल पेरेस्टेसिया जैसे लक्षण दिखते हैं।

ईस्टर्न इक्वाइन इन्सेफेलाइटिसः यह बीमारी मनुष्यों में कम घोड़े में अधिक देखने को मिलती है। इसी मच्छर के काटने से यह बीमारी होती है। कई बार यह रोग जानलेवा साबित होता है।इसमें बुखार, सिर दर्द, लूज मोशन बाद में कंफ्यूज़न, अधिक नींद आना, बेहोशी होना शामिल है. बाद में व्यक्ति चेतना में नहीं आ पाता और कोमा मेें चला जाता है। इस बीमारी के होने पर 70 प्रतिशत तक संभावना मरीज की रिकवरी की नहीं होती है। केवल 10 प्रतिशत मरीज ही ठीक हो पाते हैं।

ज़ीका वायरसः भारत में एडीज एजिप्टी और एडीस एल्बोपिक्टस मच्छर की वजह से जीका वायरस पैदा होता है। बाद में यह सैक्सुअल रिलेशन से फैलने लगता है। प्रेग्नेंट महिला को यदि यह वायरस अपनी चपेट में ले ले तो गर्भ में पल रहे बच्चे के ब्रेन का विकास सही ढंग से नहीं हो पाता है।

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