गाजियाबाद: टीबी मुक्त बनाने की चुनौती व समाधान

गाजियाबाद:- उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के माथे पर अब टीबी मुक्त बनाने की दिशा में तनाव साफ नजर आ रहा है। चालू वित्त वर्ष में गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र में 3,865 टीबी रोगी नोटिफाइड हुए हैं, जो इस क्षेत्र को नए हॉटस्पॉट में बदल रहे हैं। दिल्ली में जांच कराकर लोनी में दवा लेने की प्रवृत्ति इस स्थिति को और गंभीर बना रही है। इससे पहले, खोड़ा और विजयनगर में टीबी के सबसे अधिक रोगी मिल रहे थे।
चालू वित्त वर्ष में 18,000 से अधिक टीबी रोगी नोटिफाइड किए गए हैं। संक्रमण से बचाव के लिए पिछले तीन महीने से संक्रमित के परिवार के बच्चों के अलावा अन्य सदस्यों को टीबी प्रिवेंटिव थैरेपी (टीपीटी) के तहत तीन महीने में 12 खुराक दी जा रही हैं। एक महीने में चार खुराक जरूरी है। जिले में 39,385 लोगों को टीपीटी के तहत दवाएं दी जा रही हैं।
केंद्र का नाम | कुल टीबी रोगी
डीसीएच लोनी | 1,974
सीएचसी लोनी | 1,055
पीएचसी मंडौला (लोनी) | 562
पीएचसी चिरौड़ी (लोनी) | 274
पीएचसी पसौंडा | 676
यूपीएचसी कनावनी | 976
सीएचसी मोदीनगर | 933
डीटीसी गाजियाबाद | 2,398
डीसीएच संजयनगर | 2,133
सीएचसी बम्हैटा | 1,203
हेल्थ पोस्ट विजयनगर | 1,277
ईएसआइसी साहिबाबाद | 1,419
यूपीएचसी साहिबाबाद | 1,123
यूपीएचसी खोड़ा कोलोनी | 1,068
सीएचसी डासना | 684
सीएचसी मुरादनगर | 436
पीएचसी भोजपुर | 583
पीएचसी फरीदनगर | 225
जिले में जल्द ही सीवाइ-टीबी (टीबी संक्रमण) का अगली पीढ़ी का त्वचा परीक्षण शुरू होने वाला है। इस परीक्षण में दो विशिष्ट प्रतिजन होते हैं, प्रारंभिक स्रावी प्रतिजन छह (एएसटीए-6) और कोशिका निस्पंदन प्रोटीन 10 (सीएफपी-10), जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस काम्प्लेक्स (एमटीसी) द्वारा स्रावित होते हैं। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. अनिल यादव के अनुसार, जल्द ही लखनऊ से इस जांच के लिए वायल प्राप्त होने की संभावना है। इसके साथ ही त्वचा जांच से भी टीबी का पता लगाया जा सकेगा।
लक्षण
बुखार आना
तीन सप्ताह से अधिक समय तक चलने वाली नई या बदतर खांसी
बलगम आना, कभी-कभी बलगम में खून के साथ
सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द
ग्रंथियां गर्दन में गांठें
हड्डियों या पीठ में दर्द
जोड़ों में दर्द
वजन कम होना
थकान होना
रात को पसीने आना
बीसीजी का टीका टीबी के खिलाफ एक प्रमुख बचाव है। बचाव के लिए संक्रमित व्यक्ति को खांसते या छींकते समय हमेशा अपना मुंह और नाक ढकना चाहिए। टीबी हाथ मिलाने, सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग करने, भोजन और बर्तन साझा करने, और आकस्मिक संपर्क से नहीं फैलता है। टीबी के मरीज़ इलाज पूरा होने के बाद अपना सामान्य जीवन जी सकते हैं। जांच पाजिटिव आने पर नियमित दवाएं लेनी चाहिए, बीच में दवा नहीं छोड़नी चाहिए।
टीबी रोकथाम और नियंत्रण के प्रयास:
256 कुल टीबी सेंटर पर जांच के लिए सैंपल लिए जाते हैं और दवाएं वितरित की जाती हैं।
24 घंटे जिला टीबी अस्पताल में गंभीर मरीज भर्ती होते हैं।
18,997 टीबी के मरीजों की संख्या इस साल नोटिफाइड हो चुकी है, जिनमें से कुछ स्वस्थ भी हो गए हैं।
टीबी संक्रमण रोकने के लिए सामुदायिक सर्वे, जांच और उपचार का बेहतर प्रबंध किया जा रहा है। टीबी रोगियों की निगरानी के लिए निक्षय योजना के तहत एक हजार रुपये सीधे खातों में भेजे जा रहे हैं। पुष्टाहार पोटली भी वितरित की जा रही है। लोनी में अतिरिक्त शिविर लगाने की योजना है।
टीबी रोकथाम को पहली बार संक्रमित सदस्य के पूरे परिवार को संक्रमण से बचाव के लिए दवाएं दी जा रही हैं। – डा. अखिलेश मोहन, सीएमओ
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