पीएफआई नेताओं के इस्लामिक स्टेट और अल कायदा से रिश्ते, NIA का कोर्ट में खुलासा

तिरुवनंतपुरम। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने कोच्चि में स्पेशल एनआईए कोर्ट में कहा था कि केरल में प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया(PFI) के नेता इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा के कुछ नेताओं के संपर्क में थे। एनआईए ने प्रतिबंध के बाद गिरफ्तार किए गए PFI नेताओं के खिलाफ जांच के लिए और समय की मांग की।

नआईए ने कोच्चि की एक विशेष अदालत को बताया है कि प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के पास रिपोर्टरों का एक सीक्रेट विंग है जो अन्य समुदायों के नेताओं की डिटेल्स इकट्ठा करता है और लक्ष्यों की सूची तैयार करता है। एनआईए ने पीएफआई के खिलाफ अदालत में दायर एक हलफनामे में यह खुलासा किया। एनआईए ने आगे कहा कि आईएस और अल-कायदा जैसे आतंकवादी संगठन देश के राज्य विरोधी और धार्मिक आतंकवादी संगठनों का इस्तेमाल उन देशों में विध्वंसक गतिविधियों के लिए करते हैं जहां उनका सीधा संचालन संभव नहीं है। जांच में एनआईए को संकेत मिले हैं कि इन आतंकी संगठनों के नेता केरल में पीएफआई के नेताओं के संपर्क में थे। ऐसे में राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए विस्तृत जांच की आवश्यकता है।

11 PFI नेताओं की न्यायिक हिरासत बढ़ाने की मांग
हलफनामे में 11 पीएफआई नेताओं की न्यायिक हिरासत बढ़ाने की मांग की गई थी, जिन्हें सितंबर 2022 में केरल से गिरफ्तार किया गया था। यह कार्यवाई PFI के परिसरों और पदाधिकारियों पर राष्ट्रव्यापी छापेमारी के हिस्से के रूप में की गयी थी। एनआईए ने कोर्ट में कहा कि प्रभावी जांच करने के लिए और एजेंसी को डिजिटल डेटा और जांच के दौरान एकत्र किए गए अन्य विवरणों की जांच करने के लिए 90 दिनों से ज्यादा की आवश्यकता होगी। जिसके बाद ही कोई तार्किक निष्कर्ष निकाला जा सकेगा।

PFI है क्या?
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई का गठन 17 फरवरी 2007 को हुआ था। ये संगठन दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके बना था। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई शामिल थे। पीएफआई का दावा है कि इस वक्त देश के 23 राज्यों यह संगठन सक्रिय है। देश में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी सिमी पर बैन लगने के बाद पीएफआई का विस्तार तेजी से हुआ है। कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की काफी पकड़ बताई जाती है। इसकी कई शाखाएं भी हैं। गठन के बाद से ही पीएफआई पर समाज विरोधी और देश विरोधी गतिविधियां करने के आरोप लगते रहते हैं।

इस संगठन पर क्या आरोप हैं?
PFI एक कट्टरपंथी संगठन है। 2017 में NIA ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। NIA जांच में इस संगठन के कथित रूप से हिंसक और आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने के बात आई थी। NIA के डोजियर के मुताबिक यह संगठन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। यह संगठन मुस्लिमों पर धार्मिक कट्टरता थोपने और जबरन धर्मांतरण कराने का काम करता है। एनआईए ने पीएफआई पर हथियार चलाने के लिए ट्रेनिंग कैंप चलाने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं यह संगठन युवाओं को कट्टर बनाकर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए भी उकसाता है। इसी साल सितंबर में केंद्र सरकार ने पीएफआई पर पांच साल के लिए बैन लगा दिया गया था।

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