गाजियाबाद। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने नगर निगम पर 150 करोड़ और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) पर 50 करोड़ रुपये का पर्यावरण क्षतिपूर्ति का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना आदेश के बावजूद शक्तिखंड चार से डंपिंग ग्राउंड न हटाने पर लगाया है। दोनों विभागों को एक माह के अंदर जुर्माना जमा करने और छह माह के भीतर डंपिंग ग्राउंड हटाए जाने के आदेश दिए गए हैं।
इंदिरापुरम के शक्ति खंड-चार आवासीय इलाके में 35 हजार वर्ग मीटर जमीन पर लंबे समय से कूड़ा डाला जा रहा है। इसके विरोध में कंफेडरेशन आफ ट्रांस हिडन आरडब्ल्यूए गाजियाबाद की ओर से वर्ष 2018 में एनजीटी में याचिका दायर की गई थी। संस्था के पदाधिकारी कुलदीप सक्सेना ने बताया कि डंपिंग ग्राउंड में कूड़ा डालने के बाद आए दिन उसमें आग लगा दी जाती थी।इससे उठने वाला धुआं और दुर्गंध कॉलोनियों व बहुमंजिला इमारतों में प्रदूषण को बढ़ा रहा था। आवासीय इलाके में डंपिंग ग्राउंड के विरोध में स्थानीय निवासियों ने पिछले वषों में दर्जनों बार प्रदर्शन किया।
याचिकाकर्ता कुलदीप सक्सेना ने बताया कि प्लॉट पर वर्ष 2017 से कूड़ा डालने लगा था। दुर्गंध बढ़ी तो स्थानीय लोगों ने पहली बार जनवरी 2018 में विरोध में सड़क पर उतरे थे। विरोध प्रदर्शन और शिकायतों के बावजूद जब सुनवाई नहीं हुई तो एनजीटी में याचिका दायर की।
पिछले साल भी लगाया था एक करोड़ का जुर्माना
सुनवाई के दौरान 27 अक्तूबर 2021 में एनजीटी ने नगर निगम पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। यह जुर्माना केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) में जमा करना था लेकिन जमा नहीं किया गया। सुनवाई के दौरान नगर निगम के अधिकारियों ने एनजीटी में कहा था कि इंदिरापुरम से कूड़े को गालंद में शिफ्ट किया जाएगा। 11 माह बीतने के बावजूद अब तक भी इसे स्थानांतरित नहीं किया गया। हालांकि नगर निगम की ओर से यहां कूड़ा निस्तारण के लिए बायोरेमेडिएशन प्लांट लगाया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जितना कूड़ा इससे निस्तारित होता है, उससे अधिक कूड़ा नियमित यहां पर डाला जाता है।