ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ का निधन, 10 दिनों तक नहीं दफनाया जाएगा शव

लंदन। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का 96 साल की उम्र में निधन हो गया। न्होंने स्कॉटलैंड में अंतिम सांस ली। महारानी को श्रद्धांजलि देने के लिए बकिंघम पैलेस के बाहर बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। महारानी एलिजाबेथ के निधन से दुनिया भर के नेताओं ने शोक जताया है। महारानी का अंतिम संस्कार उनके निधन के 10 दिन बाद होगा।

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय पिछले कुछ वक्त से बीमार थीं। 96 साल की महारानी स्कॉटलैंड के बाल्मोरल कासल में रह रही थीं। गुरुवार दोपहर को महारानी एलिजाबेथ की तबीयत नाजुक होने की खबर सामने आई थी। इसके बाद वे डॉक्टर्स की देखरेख में थीं। बीमारी की वजह से महारानी बाल्मोरल महल में रह रही थीं। वे सभी आधिकारिक काम इसी पैलेस से कर रही थीं। ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने 6 सितंबर को यहीं आकर उनसे मुलाकात की और यहीं शपथ ली थी।

शाही परिवार ने बताया था कि महारानी Episodic Mobility की दिक्कत से जूझ रही थीं। इस बीमारी में मरीज को खड़े होने और चलने में परेशानी होती है। उन्हें 19 फरवरी 2022 को कोरोना भी हुआ था। वे सबसे लंबे समय तक (70 साल) ब्रिटेन की क्वीन रहीं।

शोक में शाही परिवार और ब्रिटेन
महारानी एलिजाबेथ के पति प्रिंस फिलिप की मौत 9 अप्रैल 2021 को हुई थी। अब महारानी भी नहीं रहीं। शाही परिवार अब आधिकारिक रूप से शोक में होगा। सभी अधिकारिक कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। शाही महलों और घरों पर यूनियन जैक आधा झुका दिया गया है। इसके अलावा ब्रिटेन की सभी बाहरी पोस्टों और सैन्य ठिकानों पर भी झंडा झुका रहेगा।

PM मोदी ने दुख जताया
PM नरेंद्र मोदी ने एलिजाबेथ द्वितीय के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने कहा- एलिजाबेथ द्वितीय को हमारे समय की एक दिग्गज शासक के रूप में याद किया जाएगा। दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और ब्रिटेन के लोगों के साथ हैं। उन्होंने बताया- मैं 2015 और 2018 में UK की यात्राओं के दौरान महारानी से मिला था। एक बैठक के दौरान उन्होंने मुझे एक रूमाल दिखाया था, जो महात्मा गांधी ने उनकी शादी में गिफ्ट किया था।

10 दिनों तक दफनाया नहीं जाएगा
महारानी को उनकी मौत के अगले 10 दिनों तक दफनाया नहीं जाएगा। महारानी के ताबूत को कुछ दिनों के लिए संसद में भी रखा जाएगा। उनके ताबूत को बकिंघम पैलेस से वेस्टमिंस्टर के पैलेस तक निधन के पांच दिन बाद औपचारिक मार्ग से ले जाया जाएगा, जहां रानी तीन दिनों के लिए राज्य में लेटी रहेंगी। इस दौरान लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे, यह स्थल प्रतिदिन 23 घंटे तक खुला रहेगा।

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