अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया आतंकी सरगना अल जवाहरी

काबुल। अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन के स्‍टाइल में ही अलकायदा के सरगना अयमान अल जवाहिरी को अफगानिस्‍तान की राजधानी काबुल में बने उसके सुरक्षित ठिकाने पर ड्रोन से मिसाइल हमला करके मार गिराया है। अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने जवाहिरी के मारे जाने की पुष्टि की है।

राष्ट्रपति ने कहा कि शनिवार को मेरे निर्देश पर अफगानिस्तान के काबुल में सफलतापूर्वक ड्रोन स्ट्राइक की गई, इसमें अलकायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी की मौत हो गई। अब न्याय मिल गया है।” जो बाइडन ने आगे कहा- अमेरिका अपने नागरिकों की रक्षा करता रहेगा और हमें नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने वालों के खिलाफ संकल्प और क्षमता का प्रदर्शन करना जारी रखेंगे। आज हमने साफ कर दिया है कि चाहे कितना भी समय लगे। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहां छिपने की कोशिश करते हैं। हम आपको ढूंढ निकालेंगे।

दरअसल जवाहिरी पहले पाकिस्‍तान में छिपा हुआ था लेकिन तालिबान की सरकार आने के बाद वह काबुल पहुंच गया था। बताया जा रहा है कि तालिबानी गृह मंत्री और कुख्‍यात आतंकी सिराजुद्दीन हक्‍कानी ने उसे अपने एक बेहद सुरक्षित अड्डे में पनाह दी थी।

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, जवाहिरी ने अफगानिस्तान के काबुल में शरण ले रखी थी। वो ड्रोन हमले में मारा गया। इस हमले के लिए अमेरिका ने दो Hellfire मिसाइल का इस्तेमाल किया। ड्रोन हमले को शनिवार रात 9:48 बजे अंजाम दिया गया। बताया जा रहा कि जवाहिरी पर हमले से पहले बाइडेन ने अपनी कैबिनेट और सलाहकारों के साथ कई हफ्तों तक मीटिंग की। इतना ही नहीं खास बात ये है कि इस हमले के समय कोई भी अमेरिकी काबुल में मौजूद नहीं था।वहीं, अमेरिका ने साफ कहा है कि इस हमले में उसके परिवार को निशाना नहीं बनाया गया है। अमेरिका ने अपने इस मिशन की जानकारी तालिबान को भी नहीं दी थी।

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने भी एक बयान में एक हमले की पुष्टि की और इसकी कड़ी निंदा की और इसे ‘अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों’ का उल्लंघन बताय क्योंकि कुछ ही महीनों पहले अमरीका ने अफ़ग़ानिस्तान से अपनी सेनाओं को वापिस बुला लिया था, और इसके बाद से वहां तालिबान का शासन चल रहा है। इससे पहले अफगानिस्तान में पिछले 20 साल तक अमेरिकी सेना की तैनाती रही है।

अयमान अल-जवाहरी का जन्म मिस्र में 19 जून 1951 को काहिरा के एक रईस पत्तेदार परिवार में हुआ था। बचपन से ही वो धार्मिक रूप से कट्टर था और उसने खुद को सुन्नी इस्लामी पुनरुत्थान की एक हिंसक शाखा में डुबो दिया, जिसने मिस्र और अन्य अरब देशों की सरकारों को इस्लामी शासन की कठोर व्याख्या के साथ देश के शासन को बदलने की मांग की। अल-जवाहरी ने मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया और फिर आंखों का डॉक्टर बना और आंखों की सर्जरी करता था। और इसी दौरान वो मध्य एशिया और मध्य पूर्व एशिया में घूमने लगा। उस दौरान उसने अफगानिस्तान में सोवियत संघ को लड़ते हुए देखा और फिर उसने सऊदी अरब में ओसामा बिन लादेन और अन्य अरब आतंकवादियों से मुलाकात की। अल-जवाहरी और ओसामा के नेतृत्व में धीरे धीरे अलकायदा का नाम दुनियाभर में फैलने लगा।

जवाहिरी ने अमेरिका में 11 सितंबर, 2001 को हुए हमले में चार विमानों को हाईजैक करने में मदद की थी। 2 विमान वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दोनों टावर्स से टकरा गए थे। तीसरा विमान अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन से टकराया और चौथा शेंकविले में एक खेत में क्रैश हुआ था। उस घटना में 3 हजार लोग मारे गए थे।

भारत पर लगातार दे रहा था बयान
पिछले कुछ महीनों से, खासकर जब से अफगानिस्तान में तालिबान शासन आया था, अल-जवाहिरी एक बार फिर से एक्टिव हो गया था और भारत के खिलाफ भी लगातार बयानबाजी कर रहा था। इसी साल अप्रैल महीने में अल-जवाहिरी ने कर्नाटक हिजाब विवाद में भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला था और हिजाब विवाद में शामिल मुस्कान नाम की लड़की का समर्थन किया था। वहीं, उसने तीन साल पहले कश्मीरी आतंकियों को संबोधित करते हुए कहा इंडियन आर्मी पर ज्यादा से ज्यादा हमले करने का आह्वान किया था।

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