नई दिल्ली। मंकीपॉक्स वायरस से बचाव के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने समलैंगिक पुरुषों को सेक्सुअल पार्टनर्स सीमित रखने की सलाह दी है। मंकीपॉक्स के मामले बीते कई सालों से अफ्रीका में मिलते रहे हैं, लेकिन इस बार इसने बड़ा विस्तार लिया है।
भारत समेत 75 देशों में मंकीपॉक्स के 15,000 से ज्यादा मामले मिल चुके हैं। फ्रांस जैसे देश में भी करीब 2000 मंकीपॉक्स के मामले सामने आ चुके हैं। मंकीपॉक्स जानवारों से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारी है। यह आसानी से नहीं फैलती लेकिन मंकीपॉक्स वायरस से पीड़ित व्यक्ति के द्वारा इस्तेमाल बिस्तर पर सोने या फिर साथ में खाने और स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट से यह बीमारी फैल सकती है।
अमेरिका और यूरोप के देशों में मंकीपॉक्स के मामले उन लोगों में ज्यादा देखने को मिले हैं, जो समलैंगिक हैं। गे पुरुषों के ज्यादा संक्रमित होने का खुलासा कई स्टडी में किया गया है। इसके बाद से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से कहा जा रहा है कि गे पुरुष ज्यादा मेल पार्टनर्स बनाने से बचें। हालांकि वैश्विक संस्था का कहना है कि इस बीमारी की चपेट में कोई भी आ सकता है। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति तुरंत खुद को आइसोलेट कर लें। भारत में भी केरल, दिल्ली समेत 4 मामले सामने आ चुके हैं। इसे लेकर सरकार सतर्क है और हवाई अड्डों पर जांच को तेज कर दिया है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मंकीपॉक्स मुख्य तौर पर स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट से होता है। लेकिन यह मंकीपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति से बिस्तर साझा करने से भी होती है। यह एड्स जैसी अन्य यौन संक्रमित बीमारियों की तरह नहीं फैलता है। फिलहाल दुनिया के कई देशों में चिकनपॉक्स की दवा को ही इससे निपटने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
हालांकि इससे कितना फायदा होता है और कितना नहीं, यह साफ नहीं है। मंकीपॉक्स से पीड़ित लोगों के लक्षणों की बात करें तो उन्हें बुखार, शरीर दर्द, चक्कर आना और शरीर पर दाने पड़ने जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।