मुंबई। 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस से जुड़ा एक और गवाह मंगलवार को सुनवाई के दौरान मुकर गया। उसने कोर्ट को बताया कि एटीएस ने उसे योगी आदित्यनाथ का नाम लेने के लिए मजबूर किया था। अपने बयान से मुकरने वाला ये 15वां गवाह है।
गवाह ने मंगलवार को मुंबई की विशेष एनआईए अदालत को बताया कि एटीएस ने उसे उठाया और सात दिन तक बंद रखा। इस दौरान उसे प्रताडित किया गया और उसके परिवार को भी फंसाने की धमकी दी। गवाह ने बताया कि एटीएस ने उसे उस समय भाजपा के सांसद योगी आदित्यनाथ के अलावा आरएसएस के इंद्रेश कुमार, देवधर और काकाजी का नाम लेने के लिए मजबूर किया था।
इससे पहले बीते 22 दिसंबर को भी एक गवाह यहां विशेष एनआईए अदालत के समक्ष मुकर गया था। वह कथित रूप से एक बैठक में शामिल हुआ था, जिसमें आरोपी सैन्य अधिकारी प्रसाद पुरोहित और सुधाकर द्विवेदी ने हिंदुओं के साथ हो रहे ”अन्याय” के बारे में बात की थी। मालेगांव केस में अब तक 220 लोगों की गवाही हुई है। जिसमें से 15 गवाह बयानों से मुकर चुके हैं।
2008 में हुए थे धमाके
सितंबर 2008 में मालेगांव में एक मस्जिद के पास बम विस्फोट हुए थे। इन धमाकों में छह लोगों की मौत हुई थी और 100 घायल हुए थे। मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में बांधे गए विस्फोटक से धमाके को अंजाम दिया गया था। एटीएस ने इस मामले में शुरुआती जांच की थी। तीन साल बाद 2011 में इस केस को एनआईए के पास ट्रांसफर किया गया था। मालेगांव धमाका मामले में अब एनआईए की स्पेशल कोर्ट सुनवाई कर रही है।
बता दें कि इस मामले में भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर भी आरोपी हैं। मामले के अन्य आरोपियों में लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, सुधाकर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी के नाम हैं।