आदतन बलात्कारियों को नपुंसक बनाने के कानून पर इमरान सरकार का यू-टर्न, गैर इस्लामिक बताकर हटाया

इस्लामाबाद। पाकिस्तान सरकार ने आदतन बलात्कारियों को रासायनिक तरीकों से नपुंसक बनाए जाने के प्रावधान को नए कानून से हटा दिया है। पाकिस्तान की काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी (सीआईआई) ने ऐसी सजा पर आपत्ति जताते हुए इसे गैर-इस्लामिक करार दिया था। जिसके बाद कट्टरपंथियों के दबाव में इमरान सरकार ने अवाम की कड़े कानून बनाने की मांग को खारिज कर दिया।

पीएम इमरान खान की कैबिनेट से अध्यादेश को मंजूरी और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी द्वारा इस पर मुहर लगाने के लगभग एक साल बाद संसद में यह विधेयक पारित हुआ है। आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2021 विधेयक को बुधवार को संसद के संयुक्त सत्र में 33 अन्य विधेयकों के साथ पारित कर दिया गया। विधेयक में कहा गया था कि इस कानून के तहत दोषियों को दवा देकर नपुंसक बनाया जाएगा। इस कानून में ये भी प्रावधान है कि घटना की रिपोर्ट दर्ज होने के छह घंटे के अंदर पीड़िता की जांच होगी।

वहीं अब कानून और न्याय संबंधी संसदीय सचिव मलीका बोखारी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सीआईआई द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद इस खंड को हटा दिया गया। सीआईआई पाकिस्तान का एक संवैधानिक निकाय है जो सरकार तथा संसद को इस्लामी मुद्दों पर कानूनी सलाह देता है। सीआईआई ने बलात्कारियों को रासायनिक तरीकों से नपुंसक बनाए जाने की सजा को गैर-इस्लामी करार दिया था।

कानून मंत्री नसीम फरोग ने पत्रकार आदिल वराइच के यूट्यूब चैनल पर एक इंटरव्यू में इसका खुलासा किया। इसमें नपुंसक बनाए जाने के विवादित क्लॉज पर उन्होंने कहा कि संसद में बिल पेश किए जाने के बाद बिल्कुल आखिरी वक्त पर हमने यह बदलाव किया। इसके बाद बिल पास कर दिया गया। हमने नपुंसक बनाने वाला क्लॉज इसलिए हटाया क्योंकि काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी ने हमें इसका सुझाव दिया था। हमारा संविधान कहता है कि पाकिस्तान में जो भी कानून बनेगा वो कुरान, सुन्नत और शरियत के खिलाफ नहीं होगा।

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