15000 करोड़ के बाइक बोट घोटाले में सीबीआई ने दर्ज की एफआईआर

ग्रेटर नोएडा। चर्चित बाइक बोट घोटाले में सीबीआई ने गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड (जीआईपीएल) के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि कंपनी ने अपने दो लाख से अधिक निवेशकों को 15 हजार करोड़ रुपये की चपत लगाई है। सीबीआई ने ग्रेटर नोएडा पुलिस के पास दर्ज 11 मामलों को इस मुकदमे में मर्ज किया है, जिसमें सीएमडी संजय भाटी सहित 15 लोगों को आरोपी बनाया गया है।

सीबीआई की एफआईआर में तत्कालीन नोएडा एसएसपी और एसपी क्राइम का जिक्र है। दोनों अफसरों पर आरोप है कि उन्होंने पीड़ितों पर केस वापसी के लिए दबाव बनाया। CBI के जांच दायरे में आ रहे इन दोनों पुलिस अफसरों समेत केस की जांच से जुड़े अन्य अफसरों पर कार्रवाई हो सकती है। उस वक्त मेरठ रेंज में तैनात रहे एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने लंबे समय तक इस घोटाले के मुकदमे ही दर्ज नहीं होने दिए थे। मामला जब शासन तक पहुंचा, तब धड़ाधड़ एफआईआर शुरू हुई।

इन लोगों पर हुई एफआईआर
बाइक बोट कंपनी के सीएमडी संजय भाटी, डायरेक्टर राजेश भारद्वाज, मैनेजर एचआर आनंद पीडी पटेल, डायरेक्टर दीप्ति बहल, वीरेंद्र सिंह, वीएन तिवारी, करनपाल, बलवंत, सुमित कुमार तोमर, सुनील प्रजापति, सचिन भाटी, विजय कसाना, विनोद कुमार, पवन भाटी, सचिन सिंह को मुकदमे में नामजद किया गया है।

क्या था बाइक बोट घोटाला?
ग्रेटर नोएडा के ग्राम चीती निवासी संजय भाटी ने गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के नाम से कंपनी बनाई थी। इसके बाद बाइक बोट नाम से स्कीम की शुरुआत की गई। इसके तहत संजय भाटी और उसके साथियों ने स्कीम के तहत लोगों को ऑफर दिया गया था कि वे बाइकों को खरीदने के लिए जो निवेश करेंगे, उसके बदले में उन्हें हर महीने रिटर्न हासिल होगा। इसके अलावा अन्य लोगों को जोड़ने पर कुछ अलग इंसेंटिव देने की भी बात कही गई थी। इसके अलावा कंपनी ने देश के कई शहरों में अपनी फ्रेंचाइजी शुरू करने की भी बात कही।

हालांकि यह स्कीम कहीं भी जमीन पर नहीं उतरी और लोगों से फ्रॉड जारी रहा। इस स्कीम को कंपनी ने 2017 में लॉन्च किया था और 2019 के शुरुआती दिनों तक यह घोटाला लगातार जारी रहा। इस दौरान देश भर से लाखों लोगों ने कंपनी में करीब 15,000 करोड़ रुपये का निवेश कर दिया था।

इसके बाद धड़ाधड़ मुकदमे दर्ज होने शुरू हुए। दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, बुलंदशहर, मेरठ, मुजफ्फरनगर समेत देशभर में करीब 500 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए। हजारों करोड़ की ठगी करने के बाद संजय भाटी और उसके साथी चंपत हो गए। कहा जा रहा है कि संजय भाटी फिलहाल देश में ही नहीं है।

26 आरोपी गिरफ्तार, गैंगस्टर लगा और संपत्ति जब्त की गई
जयपुर निवासी सुनील मीणा की शिकायत पर इस मामले में 12 जनवरी 2019 को पहला केस दर्ज किया गया। इसके बाद एक के बाद एक पीड़ितों ने केस दर्ज कराए। फिलहाल दादरी कोतवाली में दर्ज 116 केस की जांच आर्थिक अपराध शाखा मेरठ कर रही है। इसके अलावा ईओडब्ल्यू व देश की अन्य एजेंसियां भी जांच में जुटी है। 26 आरोपी गिरफ्तार कर जेल भेजे गए। अधिकांश आरोपियों पर गैंगस्टर की कार्रवाई की गई है। आरोपियों की 200 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। जो फर्जीवाड़े का पांच फीसदी भी नहीं है। निवेशकों का कहना है जांच एजेंसियां अब तक यह स्पष्ट नहीं कर पाईं कि फर्जीवाड़ा कुल कितने रुपये का है और कुल कितने पीड़ित आरोपियों के शिकार हुए हैं। लेकिन अब उन्हें न्याय की आस जगी है। अब आरोपियों की विदेश में जमा संपत्ति पर भी शिकंजा कस सकता है।

केस में अब तक क्या-क्या हुआ
26 आरोपी गिरफ्तार, 15 पर गैंगस्टर की कार्रवाई
ईडी ने 216 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी अटैच की
116 मुकदमों की जांच EOW मेरठ को ट्रांसफर
डायरेक्टर बिजेंद्र हुड्डा का रेड कॉर्नर नोटिस जारी
हर एजेंसी का घोटाले की रकम का अलग अनुमान
दिल्ली पुलिस इस घोटाले को 42 हजार करोड़ का मानती है
EOW मेरठ की जांच में शुरुआत में यह घोटाला 3500 करोड़ का था
EOW मेरठ की अब तक की जांच में 5000 करोड़ का घोटाला पुष्ट
CBI ने एफआईआर में यह घोटाला 15 हजार करोड़ का बताया।

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