भारत में बच्चों का कैंसर 7.9% तक पहुँचा

साल 2012 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ‘बाल चिकित्सा कैंसर’ (Pediatric Cancer) के प्रति जागरूकता लाने के लिए सितंबर महीने को चाइल्डहुड कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में घोषित किया था। कैंसर 14 साल से कम उम्र के बच्चों में मौत का प्रमुख कारण बना हुआ है। हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2012 से लेकर 2019 के बीच कैंसर के कुल मामलों में से 7.9 % कैंसर के मामले 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में पाए गए हैं।

‘क्लिनिकोपैथोलॉजिकल प्रोफाइल ऑफ कैंसर्स इन इंडिया : ए रिपोर्ट ऑफ हॉस्पिटल-बेस्ड कैंसर रजिस्ट्रीज 2021’, नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (एनसीआरपी) के तहत 96 हॉस्पिटल आधारित कैंसर रजिस्ट्रियों की अवधि के दौरान एकत्र किए गए डाटा को शामिल किया गया है।

देश में 2012-19 के दौरान कैंसर के 13,32,207 मामले दर्ज हुए

देश भर में वर्ष 2012-19 के दौरान कैंसर के 13,32,207 मामले दर्ज किए गए, जिसमें से 6,10,084 डाटा को विश्लेषण के लिए शामिल किया गया था। बच्चों में होने वाला कैंसर वैश्विक स्तर पर बचपन में होने वाली गंभीर बीमारियों के प्रमुख कारण के रूप में 9वें स्थान पर है। भारत में एनसीआरपी की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, सभी आयु समूहों में कैंसर के सापेक्ष बचपन के कैंसर (0-19 वर्ष) का अनुपात 1 से 4.9 % के बीच पाया गया।

बच्चों में ल्यूकेमिया के होने का खतरा अधिक

रिपोर्ट में कहा गया है कि ल्यूकेमिया 0-14 आयु वर्ग में दोनों लिंग (लड़का-लड़की) में सभी बचपन के कैंसर (Childhood cancer) के लगभग आधे के लिए जिम्मेदार है। ल्यूकेमिया लड़कों में 46.4 % और लड़कियों में 44.3 % पाया गया। लड़कों में बचपन में होने वाले कैंसर में लिम्फोमा (16.4 %) था, जबकि लड़कियों में यह घातक अस्थि ट्यूमर 8.9 % था। रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों में होने वाले कैंसर के अलावा, तंबाकू के उपयोग से जुड़े कैंसर में पुरुषों में 48.7 % और महिलाओं में 16.5 % कैंसर शामिल हैं। थायरॉइड कैंसर (महिलाओं में 2.5 % बनाम पुरुषों में 1 %) और पित्ताशय के कैंसर महिलाओं में 3.7 % बनाम पुरुषों में 2.2 % होने का खतरा रहता है।

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