नई दिल्ली। दिल्ली और उत्तर भारत के राज्यों में होने वाले प्रदूषण को इस साल कंट्रोल करने के लिए राज्यों की ज्वाइंट बैठक के बाद दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने दिल्ली सरकार की ओर से बैठक में रखे गए प्रस्तावों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में सर्दियों में होने वाले प्रदूषण का मुख्य कारण पड़ोसी राज्यों में जलने वाली पराली होती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली ने अपने पड़ोसी राज्यों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में सार्वजनिक परिवहन वाले वाहनों को सीएनजी चालित बनाने और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की नीति अपनाने की अपील की है। उन्होंने पड़ोसी राज्यों से पटाखों पर भी प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है।
एनसीआर में प्रदूषण की समस्या के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई जिसमें दिल्ली, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के प्रतिनिधि शामिल हैं। इस दौरान केंद्रीय आयोग के चेयरमैन एमएम कुट्टी भी मौजूद रहे। इस बैठक में मुख्य तौर पर ठंड में बढ़ने वाले प्रदूषण को लेकर चर्चा हुई और दिल्ली इसका केंद्रबिंदु रहा। बैठक के बाद दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि हम लगातार एयर क्वालिटी को मॉनिटर कर रहे हैं।
गोपाल राय ने बैठक में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंदर यादव से आग्रह किया कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सीएनजी आधारित सार्वजनिक वाहन चलाये जायें। केंद्रीय मंत्री के साथ हुई इंटर-स्टेट एवं इंटर-मिनिस्टीरियल को-ऑर्डिनेशन मीटिंग में पड़ोसी राज्यों ने कहा कि पराली को जलाने की बजाय बायो-डीकंपोजर का प्रयोग शुरू करने के लिए वे तैयार हैं लेकिन इसको लेकर एक्शन प्लान का अभाव है।
उन्होंने बताया कि बैठक के दौरान पड़ोसी राज्य इस बार पराली जलाने के स्थान पर बायो-डीकंपोजर के उपयोग के लिए मान गए हैं। लेकिन राज्यों को कहना है कि वो किसानों को कैप्सूल मुहैया करवाएंगे। गोपाल राय ने कहा कि राज्य सरकारों को दिल्ली सरकार की तरह कैप्सूल का घोल बनाकर खेतों में उसके छिड़काव तक की पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इसके साथ ही दिल्ली सरकार की ओर से पड़ोसी राज्यों में भी पटाखे बैन करने का प्रस्ताव रखा गया। जिससे दिल्ली के लोग वहां से पटाखे न खरीदें। साथ ही वहां जलने वाले पटाखों का बुरा असर दिल्ली पर न पड़े।
उन्होंने कहा कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश में केवल कुछ ही ईंट भट्टे जिगजैग तकनीक का उपयोग कर रहे हैं, जबकि दिशानिर्देश बताते हैं कि प्रदूषण के स्तर में वृद्धि होने पर डीजल जनरेटर पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, हरियाणा ने पिछले साल कुछ कॉलोनियों को डीजी सेट का उपयोग करने की अनुमति दी थी क्योंकि उनके पास बिजली की आपूर्ति नहीं थी। राय ने कहा कि हमने सुझाव दिया है कि ऐसे क्षेत्रों के लिए आपातकालीन व्यवस्था की जानी चाहिए।