दिल्ली। राजधानी के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर किसानों के विरोध-प्रदर्शन को बुधवार को 300 दिन पूरे हो गए। अभी भी किसानों का उत्साह बना हुआ है। संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक इन दिनों में 605 किसानों की मौत हो गई, इसमें 33 किसानों के खुदकुशी करने का दावा भी किया गया है।
किसान आंदोलन अपने 300वें दिन में प्रवेश कर गया है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने किसान आंदोलन में 24 नवंबर 2020 से 21 सितंबर 2021 तक मृत हुए सभी किसानों का डेटाबेस तैयार करके एक ब्लॉग बनाया है। इस पर 605 किसानों का नाम, पता, उम्र और उनके निधन की तारीख फोटो सहित लिखी है। इसमें एसकेएम ने 605 किसानों की प्रोफाइल के साथ न्यूज आर्टिकल के लिंक भी दिए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े अनुरूप ने हरिंदर हैप्पी, सजनीत मंगत के सहयोग से यह ब्लॉग बनाया है।
दरअसल 20 और 22 सितंबर 2020 को संसद ने कृषि से जुड़े तीन विधेयक पारित किए। 27 सितंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन विधेयकों को मंजूरी दी, जिसके बाद ये तीनों कानून बन गए। इन कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली के बॉर्डरों पर धरने पर बैठे हैं। सरकार कह रही है कि हम कानून में संशोधन कर सकते हैं। किसान चाहते हैं कि कानून रद्द हों। दोनों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन दोनों ही पक्ष झुकने को तैयार नहीं हैं।
ये आंदोलन दिल्ली की सीमाओं पर भीषण ठंड में शुरू हुआ था जो भीषण गर्मी और बरसात के मौसम को बिता चुका है लेकिन किसानों के हौसले आज भी बुलंद हैं। आज भी यहाँ मुख्य मंच पर बड़ी तादाद में किसानों की मौजूदगी दिखाई देती है। किसानों ने अब यहां पर परमानेंट स्ट्रक्चर बना लिया है। इसकी वजह से हर एक किसान का कोई ना कोई ठिकाना या आशियाना भी बन चुका है। किसान यहां पर अब भी बेफिक्री के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में यहां पर मीटिंग का दौर भी चलता रहता है।
किसान संगठनों की तरफ से जारी बयान में डॉ. दर्शन पाल ने बताया कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने मध्यप्रदेश में यह बताया था कि 62% एपीएमसी मंडियों ने सरकार से कर्मचारियों को वेतन देने में मदद करने के लिए कहा है। एमपी की 259 कृषि मंडियों में से 49 मंडी की आय शून्य बताई गई है। 143 मंडियों में इस वर्ष आय पिछले वर्ष से 50% तक कम है। ऐसा ही हाल कर्नाटक और दूसरे राज्यों में भी दिखाई पड़ता है।