नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ कुछ मापदंडों को साझा किया है, जिसके जरिये कोरोना टीकाकरण कार्यक्रम से जुड़े स्वास्थ्यकर्मी और निगरानी टीम के सदस्य असली और नकली कोरोना वैक्सीन की पहचान कर सकते हैं। केंद्र की तरफ से यह जानकारी ऐसे समय में राज्यों के साथ साझा की गई है, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीकी क्षेत्र में नकली कोविशील्ड मिलने पर चिंता जताई है।

डब्ल्यूएचओ ने नकली कोविशील्ड वैक्सीन मिलने पर जताई है चिंता

भारत में टीकाकरण अभियान में अभी सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया की कोविशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी का इस्तेमाल किया जा रहा है।

दो सितंबर को लिखा पत्र

स्वास्थ्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव मनोहर अग्नानी ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों एवं प्रमुख सचिवों को दो सितंबर को लिखे पत्र में कहा है कि वैक्सीन को लगाने से पहले उसकी सत्यता सुनिश्चित की जानी चाहिए। इसके लिए वैक्सीन के लेबल और अन्य सूचनाएं कार्यक्रम प्रबंधकों और सेवा प्रदाताओं को उपलब्ध कराई जाए। सभी वैक्सीन को लेकर पत्र में उनकी पहचान के मापदंड दिए गए हैं।

जानिए असली कोविशील्ड शीशी की पहचान

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के पत्र में कहा गया कि कोविड टीकाकरण के लिए सेवा प्रदाताओं और निगरानी टीमों को इन विवरणों के बारे में सूचित किया जा सकता है। नकली टीकों की पहचान के लिए उचित परिश्रम करना होगा। एक असली कोविशील्ड शीशी की बोतल पर गहरे हरे रंग में एसआईआई उत्पाद का लेबल शेड, उल्लिखित ट्रेडमार्क के साथ ब्रांड नाम और गहरे हरे रंग की एल्यूमीनियम फ्लिप-ऑफ सील होगी। एसआईआई लोगो लेबल के चिपकने वाली ओर एक अद्वितीय कोण पर मुद्रित होता है जिसे केवल उन कुछ चुनिंदा लोगों द्वारा पहचाना जा सकता है जो सटीक विवरण से अवगत हैं। अक्षरों को अधिक स्पष्ट और पठनीय होने के लिए विशेष सफेद स्याही में मुद्रित किया जाता है।

ऐसे करें असली कोवैक्सीन की पहचान

इसमें पूरे लेबल को एक विशेष बनावट मधुकोश प्रभाव दिया गया है जो एक विशिष्ट कोण पर दिखाई देता है। कोवैक्सीन लेबल में नकल रोधी सुविधाओं में अदृश्य यूवी हेलिक्स (डीएनए जैसी संरचना) शामिल है जो केवल यूवी प्रकाश के तहत दिखाई देता है।

स्पुतनिक के मामले में यह आयातित उत्पाद रूस से दो अलग-अलग थोक निर्माण स्थलों से हैं और इसलिए, इन दोनों स्थलों के लिए दो अलग-अलग लेबल हैं जबकि सभी जानकारी और डिज़ाइन समान हैं, केवल निर्माता का नाम अलग है। अब तक सभी आयातित उत्पादों के लिए, अंग्रेजी लेबल केवल 5 एम्प्यूल पैक के कार्टन के आगे और पीछे उपलब्ध है, जबकि अन्य सभी ओर एम्प्यूल पर प्राथमिक लेबल सहित, रूसी में है।

भारत में तेजी से टीकाकरण

भारत में अब तक 68.46 करोड़ डोज लगाई जा चुकी हैं। 50 करोड़ से ज्यादा लाभार्थियों को पहली डोज दी जा चुकी है। इसमें 31 अगस्त को रिकार्ड 1.41 करोड़ डोज लगाई गई थीं। अगस्त के बाद भी टीकाकरण की रफ्तार तेज बनी हुई है और रविवार को छोड़कर प्रतिदिन औसतन 60 लाख टीके लगाए जा रहे हैं। साभार-दैनिक जागरण

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