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विजेंद्र राणा पर 4 लाख रूपए लेकर ट्रक चोरी का झूठा मुकदमा थाने में दर्ज करने का आरोप है। मेरठ के एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इंस्पेक्टर विजेंद्र राणा और सिपाही मनमोहन सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
Meerut news: 15 अगस्त 2021 को 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति ने जिन पुलिस कर्मियों को वीरता पदक से सम्मानित किया‚ उनमें मेरठ के सदर थाने में तैनात इंस्पेक्टर विजेंद्र सिंह राणा का नाम भी शामिल था। हैरानी की बात यह है कि वीरता पदक प्राप्त करने के महज 15 दिन बाद ही इंस्पेक्टर विजेंद्र राणा भ्रष्टाचार के मामले में फस गए हैं। SSP ने उन्हे निलंबित कर दिया है।
विजेंद्र राणा पर 4 लाख रूपए लेकर ट्रक चोरी का झूठा मुकदमा थाने में दर्ज करने का आरोप है। मेरठ के एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इंस्पेक्टर विजेंद्र राणा और सिपाही मनमोहन सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। बताया जा रहा है कि कार्रवाई से पहले एसएसपी ने इंस्पेक्टर की गोपनीय जांच कराई थी। जांच में सामने आया कि इंस्पेक्टर विजेंद्र राणा लंबे समय से रिश्वत लेकर गैरकानूनी कार्यो को संरक्षण दे रहे थे।
सोती गंज से होती है मोटी कमाई
आपको बता दें कि मेरठ का सोतीगंज बाजार सदर थाना क्षेत्र में ही पड़ता है। सोतीगंज में देश भर से चोरी करके लाई गई गाड़ियां काटी जाती हैं। इंस्पेक्टर विजेंद्र राणा पर यह भी आरोप है कि वह कबाड़ियों के साथ सांठ-गांठ करके चोरी की गाड़ियों को कटवाने की एवज में मोटी रकम ले रहे थे। फिलहाल ट्रक चोरी के मामले में बिजेन्द्र राणा और सिपाही मनमोहन सिंह पर SSP की गाज गिर गई है।
थाने में चिपकाए थे भ्रष्टाचार मुक्त के पोस्टर
हैरानी की बात यह है कि जिस इंस्पेक्टर विजेंद्र सिंह राणा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने थाने की दीवारों पर भ्रष्टाचार मुक्त के पोस्टर भी चस्पा किए थे। सोशल मीडिया पर पोस्ट भी वायरल हुई थी कि हमारा थाना भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार से मुक्त है। हालांकि इसके कुछ दिन बाद ही खुद इंस्पेक्टर पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो हर कोई हैरान है।
ऐसे हुआ खुलासा
दरअसल बीमा रकम हड़पने के लिए गाजियाबाद के मसूरी निवासी ट्रक चालक अब्दुल सलाम ने 5 फरवरी को मेरठ सदर बाजार थाने में ट्रक चोरी का मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले की शिकायत बीमा कंपनी ने SSP मेरठ प्रभाकर चौधरी से की थी। SSP ने इस मामले पर हैरानी जताते हुए गुप्त जांच कराई। SSP जानना चाहते थे कि ट्रक चोरी का फर्जी मुकदमा कैसे दर्ज हो गया? इसमें पुलिस की क्या भूमिका रही? खास बात यह है कि एसएसपी ने इस मामले की जांच इंस्पेक्ट बिजेन्द्र राणा को सौंप दी।
सदर पुलिस ने ट्रक मालिक को पूछताछ के लिए बुलाया था। ट्रक मालिक ने शुरुआत में बताया कि उसने मुजफ्फरनगर निवासी वसीम को ट्रक देकर कटवा दिया और चोरी का फर्जी मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस वसीम को हिरासत में ले लिया। लेकिन जब ट्रक मालिक से उसका सामना कराया तो पता चला कि वसीम ने किसी ट्रक नही काटा। एसएसपी ने उसे छोड़ने के लिए कहा। लेकिन इसके बावजूद पुलिस वसीम को परेशान करती रही। बताया जा रहा है कि उससे मोटी रकम मांगी जा रही थी। पुलिस पैसा न देने पर उसे जेल भेजने की दे रही थी। वसीम के परिजनों ने इसकी शिकायत पर एसएसपी प्रभाकर चौधरी से की। एसएसपी ने पूरे मामले की जांच एसपी सिटी विनीत भटनागर को दे दी।
रंगे हाथ गिरफ्तार
आरोपी है कि वसीम 50 हजार रूपए पहले दे चुका था बाकी के 50 हजार के लिए इंस्पेक्टर ने सिपाही मनमोहन सिंह को जिम्मेदारी सोप रखी थी। कांस्टेबल मनमोहन ने मंगलवार को पैसे लेने पहुंचा था जहां पर एसपी सिटी विनीत भटनागर की टीम ने उसे रंगेहाथ 30 हजार रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया। आरोपी को हिरासत में लेकर घंटों पूछताछ की गई। ये भी पता चला कि इंस्पेक्टर ने 4 लाख लेकर ट्रक चोरी का मुकदमा दर्ज किया था। ट्रक के मामले में फाइनल रिपोर्ट वर्तमान इंस्पेक्टर बिजेंद्र राणा के कार्यकाल में लगी है और भ्रष्टाचार में इंस्पेक्टर के लिप्त होने की जानकारी भी मिली।
इंस्पेक्टर और हेड कांस्टेबल पर मुकदमा दर्ज
कानूनी राय लेने के बाद सदर बाजार इंस्पेक्टर बिजेंद्र राणा और हेड कांस्टेबल मनमोहन के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज किया गया। आरोपी हेड कांस्टेबल को गिरफ्तार कर सदर बाजार थाने के लॉकअप में रखा गया। मुकदमे की जानकारी लगते ही इंस्पेक्टर बिजेंद्र राणा फरार हो गए। पुलिस उनकी तलाश में लगी है। साभार-आँखोंदेखी लाइव
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