पढ़िये बीबीसी न्यूज़ हिंदी की ये खास खबर….
जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने केरल के कोट्टियूर बलात्कार मामले की पीड़िता के पूर्व पादरी रॉबिन वडक्कमचेरी से शादी करने की पेशकश की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है.
पीड़िता 2016 में वायनाड ज़िले के चर्च के एक स्कूल में पढ़ती थी. उसी स्कूल में दोषी पादरी भी काम करते थे.
अब 56 वर्षीय पुजारी, नाबालिग से बलात्कार और एक बच्चे को जन्म देने का दोषी पाए जाने के बाद 20 साल की सज़ा काट रहे हैं.
जालंधर के बिशप फ़्रेंको मुलक्कल के ख़िलाफ़ अभियान का नेतृत्व करने वाले फ़ादर ऑगस्टीन वॉटोली ने बीबीसी हिंदी को बताया, “सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश से क़ानून पर हमारा भरोसा बढ़ाया है. यह चर्च के भीतर उन सभी लोगों के लिए एक झटका है जो महसूस करते हैं कि अगर इस तरह की गतिविधियों को उजागर किया जाता है तो चर्च की बदनामी होगी. दरअसल होता इससे उलट है.”
रेप सर्वाइवर अब बालिग हैं और उन्होंने पूर्व पुजारी रॉबिन वडक्कुमचेरी की याचिका के बाद अदालत में एक आवेदन दिया था.
उन्होंने अपनी अर्ज़ी में पुजारी से शादी करने की मांग की थी ताकि बच्चे के स्कूल में दाख़िले की अर्ज़ी में पिता का नाम लिखा जा सके.
उन्होंने सज़ा को स्थगित करने की भी मांग की थी ताकि वह उससे शादी कर सके.
नारीवादी धर्मशास्त्री कोचुरानी अब्राहम ने अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए बीबीसी हिंदी को बताया, “भगवान का शुक्र है, सुप्रीम कोर्ट ने इसे ख़ारिज कर दिया है, अगर इसपर विचार किया जाता तो एक ग़लत मिसाल कायम होती.”
मामला सामने कैसे आया?
16 वर्षीय सर्वाइवर, सेंट सेबेस्टियन चर्च से जुड़े कोट्टियूर आईजेएम हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ती थीं. उनका परिवार इसी चर्च का सदस्य था. वह चर्च में कंप्यूटर में डेटा एंट्री करने में भी मदद करती थीं. मई 2016 में चर्च के तत्कालीन विकार, रॉबिन वडक्कुमचेरी ने उसके साथ बलात्कार किया.
रॉबिन वडक्कुमचेरी की धमकियों वजह से लड़की ने पुलिस को ये तक कह दिया था कि उसका रेप, उसके पिता ने ही किया है. वडक्कुमचेरी के बारे में कन्नूर में चाइल्डलाइन पर आई एक गुमनाम कॉल से पता चला था.
चाइल्डलाइन के नोडल अधिकारी अमलजीत थॉमस ने बीबीसी हिंदी को बताया, “हमें एक गुमनाम कॉल आई थी और हमने जांच की. जांच से पता चला कि लड़की ने कहा था कि उसके साथ, उसके रिश्तेदार ने और बाद में उसके अपने पिता ने बलात्कार किया था. बयान में कुछ विसंगतियां थीं. इसलिए, हमने पुलिस को गुमनाम कॉल के बारे में सूचित किया.”
थॉमस ने कहा कि परिवार ग़रीब था और उनके वडक्कुमचेरी के साथ अच्छे रिश्ते थे. बाद में किए गए एक डीएनए परीक्षण ने पुष्टि की कि बच्चा तत्कालीन विकार रॉबिन वडक्कमचेरी का ही था.
केरल उच्च न्यायालय ने पोक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण क़ानून) कोर्ट के विशेष सत्र न्यायाधीश पीएन विनोद के फ़ैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा.
केरल हाई कोर्ट के जस्टिस सुनील थॉमस ने पीड़िता से शादी करने के बदले सज़ा को निलंबित करने के रॉबिन वडक्कमचेरी के आवेदन पर विचार करने से इनकार कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा. हाई कोर्ट के जस्टिस सुनील थॉमस ने रॉबिन वडक्कमचेरी की सर्वाइवर से शादी करने के बदले सज़ा संस्पेंड करने की अर्ज़ी पर विचार करने से इनकार कर दिया था.
क्या सज़ा को स्थगित करने की ज़रूरत है?
केरल हाई कोर्ट की एडवोकेट संध्या राजू ने बीबीसी हिंदी को बताया, “विवाह सज़ा के निलंबन का आधार नहीं हो सकता. स्कूल के दाख़िले में बच्चे के पिता का नाम दर्ज करने के लिए शादी की भी आवश्यकता नहीं है क्योंकि डीएनए परीक्षण से साबित हो गया है कि वह पिता हैं. ये साफ़ है कि ये कोशिश दोषी को सिर्फ जेल से बाहर निकालने की थी.”
जब रॉबिन ने ये याचिका केरल हाई कोर्ट में दाख़िल की थी तब संध्या राजू ने मुंबई की संस्था मजलिस, पुणे की स्त्रीवाणी, काउंसलर कविता और मुंबई की एक्टिविस्ट ब्रिनेल डिसूज़ा की ओर से हाई कोर्ट में मुकदमा लड़ा था.
संध्या राजू बताती हैं, “यह एक साफ़ संकेत है कि परिवार पर उसके और चर्च के अनुरोध को स्वीकार करने का दबाव है. इस पूरे मामले में जैसी धमकियों का इस्तेमाल हुआ है, वो अकल्पनीय हैं. लड़की को अपने पिता को दोषी ठहराने के लिए मजबूर किया गया, बच्चे को भी गोद लेने का प्रयास किया गया.”
उधर, चर्च ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह एक व्यक्तिगत मामला था.
केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल (केसीबीसी) के प्रवक्ता फ़ादर जैकब पलाकप्पिल्ली ने बीबीसी हिंदी को बताया कि चर्च ने उनके ख़िलाफ़ पहले ही अनुशासनात्मक कार्रवाई की है.
फ़ादर जैकब ने कहा, “यह विशुद्ध रूप से उनका व्यक्तिगत मामला है, चर्च का मामला नहीं है. भारत में कैथोलिक चर्च अपने किसी भी सदस्य के, किसी भी अपराध का स्वीकार या समर्थन नहीं करता है. ऐसा अपराध करने वालों को देश के क़ानून की कार्यवाही का सामना करना चाहिए. चर्च का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है.”
फ़ैसले का चर्च पर असर
नारीवादी धर्मशास्त्री (फ़ेमिनिस्ट थियोलॉजिस्ट) कोचुरानी अब्राहम ने बीबीसी हिंदी को बताया, “कैथोलिक चर्च से किसी ने भी इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है. लेकिन चर्च के हलकों में इस पर व्यापक रूप से बहस हुई है और इससे ये धारणा बनी है कि चर्च शादी की मंज़ूरी को तरजीह देता है.”
उनके अनुसार, “विवाह कोई समाधान नहीं हो सकता. शादी के लिए व्यस्क होना ज़रूरी है. चर्च के लोगों को इस तरह के यौन शोषण में लिप्त लोगों के ख़िलाफ़ तत्काल कार्रवाई शुरू करनी चाहिए. चर्च को ऐसे पुजारियों का तबादला करने की वजाय, उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए.”
अब्राहम कहती हैं, “मैं जो कह रही हूं वह सभी धर्मों के पुजारियों पर लागू होना चाहिए.अगर कार्रवाई न हो तो उनके नैतिक नेतृत्व पर सवाल उठता है और चर्च को इसे ढंकना बंद कर देना चाहिए.”
बिशप फ़्रेंको मुलक्कल के ख़िलाफ़ अभियान का नेतृत्व करने वालेफ़ादर ऑगस्टीन का यह भी मानना है कि ‘एक बार अपराध हो जाए तो व्यक्ति को सज़ा मिलनी चाहिए.’ बिशप फ़्रेंको मुलक्कल के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू करने के अभियान के दौरान भी उनका यही रुख़ था. बिशप मुलक्कल पर कई वर्षों से एक नन के साथ बलात्कार करने का अभियोग चल रहा है.
फ़ादर ऑगस्टीन ने कहा, “अगर व्यक्ति को दंडित किया जाता है तो चर्च की विश्वसनीयता बढ़ेगी. अगर सज़ा न मिले तो समझो नैतिक पतन हो रहा है. यह मानवता, ईसा मसीह और चर्च के ख़िलाफ़ अपराध है.” साभार-बीबीसी न्यूज़ हिंदी
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