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मध्य प्रदेश में कोरोना संकट के दौरान भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस एक अलग तरह के मुद्दे में उलझे हुये हैं. यह मामला ‘हनी ट्रैप’ का है. इसको लेकर सियासत कुछ दिनों पहले शुरू हुई थी लेकिन अब सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के लिए यह रोज़ के आरोप प्रत्यारोप का एक मामला बन चुका है.
हनी-ट्रैप एक बार फिर चर्चा में उस वक़्त आया जब प्रदेश के पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार के भोपाल में स्थित घर पर उनकी कथित महिला मित्र सोनिया भारद्वाज ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली.
घटनास्थल से एक सुसाइड नोट तो मिला था लेकिन उसमें किसी का भी नाम सीधे तौर पर नहीं लिखा था.
उसमें लिखा था, “तुम ग़ुस्से में बहुत तेज़ हो. अब सहन नहीं कर सकती.”
विधायक के समर्थन में कांग्रेस और मृतक का पुत्र
भोपाल पुलिस ने जल्द ही इस मामले में एफ़आईआर दर्ज कर दी. इसके बाद उमंग सिंघार के पक्ष में सोनिया भारद्वाज का बेटा आ गया और कहा कि इस एफ़आईआर को निरस्त किया जाना चाहिये. इसके लिये बाक़ायदा उन्होंने पत्र भी प्रदेश पुलिस के मुखिया को लिखा.
इसके बाद कांग्रेस पार्टी भी उनके बचाव में आ गई. कांग्रेस के कई विधायकों ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से कहा कि उमंग सिंघार को इस मामले में फंसाया जा रहा है.
इसके बाद कमलनाथ ने कहा था कि इस मामले में सरकार ओछी राजनीति न करे.
उन्होंने यह भी दावा किया था कि हनी-ट्रैप की पेन ड्राइव उनके पास भी है. वो इस बात का इशारा कर रहे थे कि उनके पास मौजूद पेन ड्राइव में सत्ता पक्ष के कई नेताओं के वीडियो हैं.
इसके बाद हनी-ट्रैप को लेकर मामला फिर गर्मा गया.
क्या है हनी-ट्रैप का मामला
मध्य प्रदेश का हनी ट्रैप मामला सितंबर 2019 में सामने आया था. इसने प्रदेश की राजनीति को हिला कर रख दिया था. इसमें कथित तौर पर कई नेता और नौकरशाह फंसे हुये थे.
यह उस वक़्त सामने आया था जब पुलिस ने इंदौर और भोपाल से पांच महिलाओं और एक पुरुष को गिरफ्तार किया था.
इस मामले के सामने आने के बाद पता चला था कि इन महिलाओं ने राजनेताओं, नौकरशाहों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निशाना बनाया था. इन लोगों ने उनके वीडियो बनाये और उन्हें ब्लैकमेल किया गया.
इन लोगों ने इन से करोड़ों रुपये भी ऐठें और उनके पद का इस्तेमाल करते हुये बड़े-बड़े ठेके भी लिये. इसमें कुछ पत्रकारों के नाम भी सामने आये थे जिन्होंने इस मामले में आधिकारियों और इन महिलाओं के बीच लेन देन करवाया था.
इसके बाद इस मामले की जांच का ज़िम्मा एसआईटी को सौंप दिया गया था. लेकिन प्रदेश में भाजपा की सरकार के आने के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया क्योंकि ऐसा दावा किया गया कि इसमें ज़्यादातर नाम भाजपा नेताओं के सामने आ रहे थे.
एसआईटी क्यों मांग रही है पेन ड्राइव
अब एसआईटी ने कमलनाथ को नोटिस देकर उस पेन ड्राइव को उन्हें सौपने के लिये 2 जून तक का समय दिया है.
एसआईटी के विवेचना सहायक (निरीक्षक) शशिकांत चौरसिया के नाम से जारी एक नोटिस कमलनाथ को भेजा गया है.
इसमें लिखा है कि आपसे अपेक्षा है कि वह दो जून को दोपहर 12:30 बजे भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित अपने निवास में उपस्थित रहें और अपना बयान दर्ज कराते हुए पेन ड्राइव और सीडी का भौतिक साक्ष्य सौंपें.
नोटिस में यह भी लिखा हुआ है कि हनी-ट्रैप कांड में पेन ड्राइव और सीडी अत्यंत महत्वपूर्ण सबूत है. इससे जांच को और प्रभावशाली तथा सुदृढ़ बनाया जा सकता है.
लेकिन नोटिस मिलते ही कमलनाथ अब अपने बयान से पलट रहे हैं. रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री मुरैना में पत्रकारों के सामने थे. उन्होंने कहा, “जिस पेन ड्राइव की बात आप कर रहे हैं यह मेरे पास है या नहीं यह दूसरी बात है. लेकिन इतना ज़रूर है कि यह पेन ड्राइव बहुत से पत्रकारों और राजनेताओं के पास है.”
उन्होंने आगे कहा कि समय आने पर सबूत दे दूंगा.
वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा, “हनी ट्रैप से संबंधित सभी दस्तावेज़ सरकार के पास हैं. इस मामले में सभी नेता भाजपा के हैं. और अगर सरकार चाहती है उनका शिकार करना तो सही समय में इसे कांग्रेस द्वारा सामने ला दिया जाएगा.”
कमलनाथ पर हमलावर भाजपा
हालांकि कमलनाथ अपने इस बयान से भाजपा नेताओं के निशाने पर लगातार बने हुये हैं. भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने सवाल किया था कि आख़िर ‘उनके पास सीडी आई कैसे? इसकी जांच की जानी चाहिये.’
भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा, ” कमलनाथ ने दावा किया था कि उनके पास पेन ड्राइव है. लेकिन बाद में वो अपने इस बयान से पलट गये जो यह बताता है कि उनका मक़सद जनता में भ्रम फैलाना, ग़लत जानकारी देकर जनता को गुमराह करना और मुद्दों को मोड़ने का काम करना है.
लेकिन हनी ट्रैप के साथ ही कोरोना को लेकर भी एक बयान कमलनाथ ने दिया जिसकी वजह से भाजपा नेताओं की शिकायत पर उनके ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 188 एवं आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 54 के तहत मामला पिछले हफ्ते दर्ज किया गया था.
भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया था कि कमलनाथ देश को बदनाम करने में लगे है इसलिये उन पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाना चाहिये.
भाजपा नेताओं ने अपनी शिकायती पत्र में कहा था, “कमलनाथ ने उज्जैन में पत्रकारों से बात करते हुये कहा था कि दुनिया में जो कोरोना फैला हुआ है, उसे लोग ‘इंडियन वैरिएंट’ के नाम से जान रहे है.”
उन्होंने आगे लिखा था, “कमलनाथ ने यह भी कहा था कि कई देशों के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति कोरोना को इंडियन वैरिएंट के नाम से पुकार रहे हैं. कोरोना महामारी के ऐसे संकटपूर्ण समय में कमलनाथ यह बोलकर जनता को भ्रमित कर रहे हैं और देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम कर रहे हैं.”
माना जा रहा है कि प्रदेश की राजनीति असली मुद्दों से दूर आने वाले कुछ वक़्त इसी पेन ड्राइव के इर्द गिर्द घूमती रहेगी.साभार-बीबीसी न्यूज़ हिंदी
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