इन तीन वजहों से महिलाओं के नाम घर खरीदना फायदेमंद होता है, जानिए विस्तार से

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कोरोना महामारी ने बहुत कुछ बदला है. इसमें घर खरीदने को लेकर लोगों की मानसिकता भी शामिल है. महामारी की वजह से घर को लेकर लोगों की प्राथमिकताएं बदल गई हैं. एक साल पहले तक कई लोगों के लिए घर खरीदना लंबी अवधि का बड़ा लक्ष्य था, लेकिन अब यह प्राथमिकता बन गया है.

कोरोना महामारी ने बहुत कुछ बदला है. इसमें घर खरीदने को लेकर लोगों की मानसिकता भी शामिल है. महामारी की वजह से घर को लेकर लोगों की प्राथमिकताएं बदल गई हैं. एक साल पहले तक कई लोगों के लिए घर खरीदना लंबी अवधि का बड़ा लक्ष्य था, लेकिन अब यह प्राथमिकता बन गया है.

हर कोई जल्द से जल्द खुद का घर खरीदने के बारे में सोच रहा है. आम तौर पर घर ऐसा निवेश होता है, जिसका निर्णय वर्षों के सोच विचार और रिसर्च के बाद लिया जाता है. लेकिन कोविड महामारी और उसके कारण घर में बिताए जाने वाले समय में हुई बढ़ोतरी ने एक नई सोच और स्थिति को जन्म दिया है. मकान अक्सर परिवार के पुरूष के नाम पर होता है. बदलते दौर ने इस सामाजिक प्रथा को बदल दिया है.

देश में 77 फीसदी घर खरीदार महिलाएं 

प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी फर्म एनॉरॉक की साल 2020 की रिपोर्ट के अनुसार देश भर में 77 फीसदी घर खरीदार महिलाएं हैं और रियल एस्टेट खरीदने के मामले में करीब 74 फीसदी निर्णय महिलाओं का होता है. इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए नियामक और नीति निर्माताओं को वित्तीय सहायता सहजता से उपलब्ध कराने के लिए कई रियायतें शुरू की हैं. इनके चलते यदि कोई मकान परिवार की किसी महिला सदस्य के नाम पर लिया जाता है, तो उसमें कुल तीन तरह के फायदे मिल सकते हैं.

1- कम ब्याज दर –

हाउसिंग फाइनेंस संस्थान महिलाओं के लिए ब्याज दर अन्य लोगों के लिए दरों की अपेक्षा 0.5-5% कम रखते हैं. कुछ हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों ने महिलाओं के उद्देश्य और आय के अनुसार विशेष लोन स्कीम भी बनाई हैं. लोन ज्यादा हो तो 0.5-5% छूट भी मायने रखती है.

2- टैक्स में छूट –

महिला के नाम पर या जॉइंट ओनरशिप में लोन लेने से परिवार की आय पर अतिरिक्त टैक्स लाभ लिए जा सकते हैं. अघर पत्नी की आय का स्रोत अलग है, तो किस्तें चुकाने पर टैक्स छूट पति-पत्नि, दोनों ले सकते हैं. मतलब अतिरिक्त निवेश किए बिना दोगुना टैक्स लाभ.

3- स्टाम्प ड्यूटी छूट –

कई राज्य महिलाओं के नाम पर प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराने पर स्टाम्प ड्यूटी में छूट देते हैं. उत्तर भारत के कुछ राज्यों में महिलाओं और महिला-पुरूष के लिए रजिस्ट्री शुल्क की दर पुरूषों के लिए निर्धारित रजिस्ट्री शुल्क की दर के मुकाबले तकरीबन 2 से 3 फीसदी कम है.

इन सब बातों से अलग प्रतिकात्मक तौर पर भी यह महत्वपूर्ण है. खुद के नाम पर मकान होना परिवार की महिला सदस्यों के लिए सशक्तिकरण का भी एक माध्यम है.यह उन्हें एक आत्मविश्वास तो देगा ही, साथ ही भविष्य में आमदनी का एक जरिया भी साबित हो सकता है.  साभार- न्यूज़18

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