मणिपुर:- हालात एक बार फिर से बिगड़ गए हैं। राज्य में जातीय हिंसा और अशांति के बीच मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने एनडीए की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई, लेकिन इस बैठक में राजनीति और आंतरिक मतभेदों की गहरी छाप देखने को मिली। बैठक में कुल 45 विधायकों में से सिर्फ 27 विधायक पहुंचे, जिनमें से एक विधायक ने वर्चुअली हिस्सा लिया। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य मणिपुर में हिंसा की बढ़ती घटनाओं और उनके समाधान पर चर्चा करना था।
अनुपस्थित विधायकों का बढ़ता विरोध
मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के नेतृत्व में यह बैठक कुछ हद तक नाकाम रही, क्योंकि बैठक में कई प्रमुख विधायक अनुपस्थित रहे। इनमें से छह विधायकों ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, जबकि 11 विधायकों, जिनमें एक मंत्री भी शामिल था, ने बैठक में न पहुंचने का कोई ठोस कारण नहीं बताया। सबसे महत्वपूर्ण अनुपस्थिति मुख्यमंत्री की कैबिनेट के सदस्य वाई खेमचंद सिंह की थी, जिनकी बैठक में गैरहाजिरी ने सरकार की असंतुलित स्थिति को उजागर किया। इस बैठक में 10 आदिवासी विधायक भी शामिल नहीं हुए, जिनमें सात भाजपा के विधायक थे, साथ ही तीन निर्दलीय विधायक भी बैठक से दूर रहे।
कोनराड संगमा की पार्टी का समर्थन वापस
राजनीतिक हालात में और भी बदलाव हुआ जब मणिपुर की सत्ताधारी भाजपा सरकार को कोनराड संगमा की पार्टी, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी), ने समर्थन वापस ले लिया। एनपीपी ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार मणिपुर में बढ़ते हिंसा के मामलों और शांति बहाली में पूरी तरह से असफल रही है। हालांकि, इससे पहले कुछ एनपीपी विधायक बैठक में शामिल हुए थे, जिनके इस कदम को पार्टी के भीतर हलचल का संकेत माना जा रहा है।
बैठक में उठाए गए महत्वपूर्ण मुद्दे
इस बैठक में मणिपुर के विधायकों ने सात प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की। सबसे पहले, यह सुझाव दिया गया कि केंद्र से सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA) को फिर से लागू करने पर पुनर्विचार किया जाए। राज्य में बढ़ते हिंसा और उग्रवाद को देखते हुए यह फैसला लिया गया था, लेकिन विधायकों का मानना था कि इस पर पुनः विचार किया जाए।
इसके अलावा, जिरीबाम में हाल ही में हुए अत्याचारों को लेकर भी चर्चा की गई। वहाँ एक मैतेई परिवार के छह सदस्यों की हत्या के मामले में कार्रवाई की मांग की गई। इसके साथ ही कुकी उग्रवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की भी अपील की गई, जिन्होंने इन हत्याओं को अंजाम दिया था।
एनआईए से जांच की सिफारिश
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि मणिपुर में हुई कुछ प्रमुख घटनाओं की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपने की सिफारिश की जाए। इनमें जिरीबाम में मैतेई महिलाओं और बच्चों की हत्या, 7 नवंबर को एक महिला के जलाए जाने की घटना, और 9 नवंबर को बिष्णुपुर जिले में एक महिला किसान की हत्या शामिल हैं। इन घटनाओं के लिए सरकार ने कुकी आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया और उनका नाम गैरकानूनी संगठन के रूप में घोषित करने की मांग की।
शांति और न्याय की उम्मीद
मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने इस बैठक के बाद एक पोस्ट के माध्यम से मणिपुर की जनता को शांति और न्याय का आश्वासन दिया। उन्होंने जिरीबाम में निर्दोष लोगों की हत्या की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि मणिपुर में जल्द ही शांति बहाल होगी और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, उन्होंने अफस्पा और प्रदेश में न्याय व्यवस्था को बहाल करने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेने का भी संकल्प लिया।