विचलित करने वाली ये तस्वीरें उन्नाव में गंगा किनारे के घाट की हैं।
मैं गंगा किनारे ही पैदा हुआ हूं। यहीं बड़ा हुआ हूं, लेकिन मैंने अपनी पूरी जिंदगी में आज तक ऐसा दर्दनाक नजारा पहले कभी नहीं देखा। मैं उत्तर प्रदेश के उन्नाव स्थित उस गंगा घाट के किनारे हूं, जहां एक साथ 500 से ज्यादा लाशें दफन हैं। ये लाशें हिंदुओं की हों या मुसलमानों की… कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि हैं तो इंसानों की ही।
सुबह जो मंजर देखा, मेरी रूह कांप उठी
कोरोनाकाल में इतना बड़ा श्मशान घाट शायद ही कहीं और बना हो। कल से मैं इस इलाके पर नजर रख रहा हूं। कल जो मंजर था, आज सुबह उससे भी भयावह हो गया है। कानपुर से 70 किलोमीटर का सफर तय करके सुबह 4 बजे मैं इस घाट पर पहुंचा। मैंने जो देखा…मेरी रूह कांप उठी। रात में हुई बारिश के चलते गंगा का जलस्तर क्या बढ़ा, कई लाशें बाहर आ गईं।
एक-दो नहीं बल्कि पचासों कुत्ते उन पर टूट पड़े थे। हर तरफ लाशों का अंबार और क्षत-विक्षत मानव अंग। कुछ देर होते ही प्रशासनिक अफसर भी पहुंच गए। देखते ही देखते लाशों के ऊपर से कफन हटवाया जाने लगा। मैं कुछ समझ पाता, तब तक उन लाशों पर बालू भी डलवा दी गई। कफन को हटाने का मकसद शायद ये था कि दूर से कोई लाशों की पहचान और गिनती न कर सके। लाशों के करीब जाने से सभी को रोक दिया गया। अब पूरा इलाका पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के हाथ में है और मैं और मेरे तमाम मीडियाकर्मी साथी घाट किनारे से सब देख रहे हैं।
आंखों के सामने झूठ बोलने लगे SDM
लाशों की सच्चाई को दफन करवाने पहुंचे SDM की हिम्मत तो देखिए…एक तरफ लाशों पर बालू डलवा रहे थे तो दूसरी ओर मीडिया की खबरों को ही झूठ बोल रहे थे। इनका नाम है दयाशंकर पाठक। मीडिया ने जब इनसे पूछा कि इन लाशों की सच्चाई क्या है तो बोलने लगे कि यहां कोई लाश नहीं है। मीडिया झूठी खबरें चला रहा है। सामने कुत्ते शवों को नोंच रहे थे, लेकिन ये साहब आंखों के सामने की सच्चाई पर भी पर्दा डालने में जुटे थे।
जबकि, बुधवार को ही दैनिक भास्कर ने उन्नाव के DM रवींद्र कुमार से बक्सर घाट पर बड़े पैमाने पर दफन हो रहीं लाशों को लेकर सवाल पूछा था। तब उन्होंने साफ कहा था कि हां, वहां कई लाशें दफन हुई हैं। इसकी जांच के लिए SDM से रिपोर्ट मांगी गई है। अब लाशों को दफन करके लोग न चले जाएं, इसकी व्यवस्था भी की जा रही है। इसके साथ ही जो लाशें अभी दफन हैं उनका भी रीति-रिवाजों के साथ अंतिम संस्कार कराया जाएगा, लेकिन सुबह होते ही उनके दूसरे अफसर इससे पलट गए।
अब 2 जिलों के बीच की लड़ाई
ये लाशें किसकी हैं? किसने दफन कीं? इनकी मौत कैसे हुई? ये सब अब किसी को नहीं पता करना है। अफसर तो इस बात को पता करना चाहते हैं कि जिस जगह ये लाशें दफन हैं…वो किस जिले में आता है। अब लड़ाई फतेहपुर और उन्नाव के अफसरों के बीच है। दोनों यही चाहते हैं कि ये इलाका उनके जिले में न आए, जिससे वो अपनी नाकामी पर पर्दा डाल सकें। बस इसलिए लाशों के ढेर के सामने दोनों जिलों के अफसर पहुंचे हुए हैं।
फतेहपुर की SDM प्रियंका कहती हैं कि ये मामला उन्नाव का है और उन्नाव के SDM साहब तो पहले ही बोल चुके हैं कि यहां कोई लाश दफन नहीं है। हां, इन सबके बीच लाशों को अभी भी कुत्ते नोंचकर खा रहे हैं। साभार-दैनिक भास्कर
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